अकबर बीरबल की कहानी – बिल्ली और पेड़े की कहानी
बिल्ली और पेड़े की कहानी, अकबर बीरबल की मशहूर कहानियों में से एक है। ये कहानी एक सीख देती है की कैसे बुद्धिमानी के बदौलत किसी भी चुनौती को जीता जा सकता है।
स्पर्धा की घोषणा
एक बार की बात है अकबर ने अपने राज्य में एक स्पर्धा की घोषणा करवाई। इस स्पर्धा में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक बिल्ली और एक गाय दी जाएगी। और, जो भी मनुष्य सेहतमंद बिल्ली के साथ-साथ सबसे ज्यादा गाय के दूध के पेड़े बनाकर लाएगा वह विजेता होगा। गाय के दूध पर पहला अधिकार बिल्ली का होगा।
स्पर्धा के नियम
इस स्पर्धा में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को यह सूचित किया गया कि, जिसकी भी बिल्ली भूख के कारण कमजोर हुई या बीमार पड़ी उसको दंड स्वरूप सौ कोड़े मारे जाएंगे। और, जिसने भी दूसरे गाय के दूध के पेड़े बनाएं बनाए या पेड़े में मिलावट की उसे भी सौ कोड़े मारे जाएंगे। तथा, जिसने यह दोनों अपराध किए उसे दो सौ कोड़े मारे जाएंगे। वहीं जिसकी बिल्ली सेहतमंद होगी और जिसके पास सबसे से ज्यादा पेड़े होंगे उसे विजेता घोषित किया जाएगा। और, उसे पुरस्कार स्वरूप सौ स्वर्ण मुद्राएं (सोने के सिक्के) दी जाएंगी।
स्पर्धा में नामांकन के लिए उमड़ी भीड़
इस स्पर्धा के समाचार को सुन लोगों में जोश भर गया। स्पर्धा में भाग लेने हेतु नामांकन विभाग भारी भीड़ पहुंची। बीरबल ने उमड़ी भीड़ को लेकर कर्मचारियों से पूछा “यह सब यहां क्यों आए हैं”? तब उसे पता चला की बादशाह ने स्पर्धा रखी है।
बादशाह से स्पर्धा का कारण जानने पहुंचा बीरबल
स्पर्धा की बात सुन, बीरबल बादशाह के पास गया। और, बादशाह से पूछा “बादशाह आपने ऐसी स्पर्धा क्यों रखी है”? बादशाह ने कहा “मैं राज्य में मेहनती और ईमानदार लोगों की खोज कर रहा हूँ”। बीरबल ने कहा “किन्तु स्पर्धा में ईमानदार क्यों आएंगे? यहां तो लोग सौ स्वर्ण मुद्राओं के लालच में मेहनती और चतुर लोग आएंगे”।
हँसते हुए बादशाह अकबर ने कहा “अच्छा! ये बात है तो तुम भी स्पर्धा में भाग लेलो तुम भी तो मेहनती एवम चतुर हो। क्या पता तुम ही विजई हो जाओ और सौ स्वर्ण मुद्राएं तुम्हे ही मिल जाएं”। बादशाह की बात सुन कर बीरबल ने पूछा, “क्या मेरे विजेता होने पर आप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राएं देंगे”? बादशाह ने मुस्कुराते हुए कहा “हाँ बीरबल! बस ध्यान रहे, जिसकी बिल्ली सेहतमंद होगी और जिसके पास दी गई गाय के दूध के सर्वाधिक पेड़े होंगे उसे ही स्वर्ण मुद्राएं मिलेंगी। और बिल्ली को भूखा रखने वाले, दूसरी गाय के दूध से पेड़े बनाने वाले और पेड़े में मिलावट करने वाले को कोड़े मिलेंगे। और यदि चतुर बीरबल! तुम बईमानी में पकड़े गए तो मैं तुम्हे कोड़ों से नही बचाऊंगा। दंड स्वीकार करना होगा।”
बादशाह का बीरबल को स्पर्धा के लिये उकसाना
बादशाह की बातें सुन कर चालक बीरबल ने कहा, “बादशाह चतुराई और बेइमानी अलग अलग है”। बादशाह ने कहा, “तो तुम स्पर्धा में विजेता बन कर इसे सिद्ध कर दो”। बीरबल ने बादशाह अकबर से पूछा, किसी ने बेइमानी की है यह सुनिश्चित कैसे करेंगे”? अकबर ने कहा “मैंने उसके लिए जासूसों का जाल नगर में बिछा दिया है। मुझे सारी खबर मिलती रहेगी”। “मन से संदेह दूर हो गए हों तो जाकर नामांकन करवा लो बीरबल” अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा। बादशाह की बातें सुनकर बीरबल मुस्कुराया और कहा “जैसा आपका आदेश बादशाह”। और नामांकन के लीए कार्यालय की ओर चल पड़ा।
स्पर्धा का आरम्भ होना
सारे प्रतिभागियों के साथ बीरबल ने भी नामांकन भर दिया। सभी प्रतिभागियों को एक बिल्ली और एक गाय दी गई और एक महीने का समय दिया गया। सभी प्रतिभागी अपनी बिल्ली को सेहतमंद बनाए रखने और बचे हुए दूध से पेड़े बनाने में जुट गए। वहीं बादशाह के जासूस भी सभी प्रतिभागियों पर नजर बनाए हुए थे। धीरे धीरे एक महीना बीत गया और प्रतियोगिता समाप्त हुई। सभी प्रतिभागी अपनी अपनी बिल्ली और बनाए हुए पेड़ों की पोटली लेकर बादशाह के दरबार में पहुंचे।
दंड का भागी कौन?
सबसे पहले जासूसों ने उनके नाम की घोषणा की जिन्होंने दूसरी गायों की दूध से भी पेड़े बनाए थे। नाम की धोषणा के साथ ही उन्हें दंड मिला। परंतु उसमें बीरबल का नाम नही था। उसके बाद, सभी प्रतिभागियों के पेड़ों की पोटली खोली गई। और, सभी की बिल्लियों की जांच हुई। जिनकी बिल्लियां भूख की वजह से सेहतमंद नहीं थी, बीमार सी थी जांच के बाद जिनकी वो बिल्लियां थीं उन प्रतिभागियों को सजा हुई। जिनके जिनके पेड़ों में मिलावट थी उनको भी सजा हुई। फिर अंत में 25-30 लोग बचे। जिनमे से एक बीरबल था। सभा मे बैठे बीरबल को नापसंद करने वालों ने कहा “अरे बीरबल, बईमानी नही कर पाए, इस बार तो बादशाह ने अच्छी तरकीब लगाई”।
विजेता कौन?
केवल 25-30 लोगों की बिल्लियां सेहतमंद थी और उनके पेड़े उत्कृष्ट गुणवत्ता के थे। जांच में पता चला की सबसे ज्यादा पेड़े बीरबल के पास है। और, उसकी बिल्ली भी सेहतमंद है। फिर लोगों के बीच में कानाफूसी होने लगी कि बीरबल ने कोई बेईमानी नही की तो फिर इसके पास इतने अधिक पेड़े कैसे हैं और इसकी बिल्ली भी सेहतमंद है। बाकी लोगों की तुलना में बीरबल के पेड़े दुगने थे और बादशाह के नियम के अनुसार गाय के दूध से पहले बिल्ली को पोषित करना था और फिर पेड़े बनाने थे। ये बात लोगों को अनहोनी सी लगने लगी।
लोगों ने अनुमान लगाया कि अवश्य ही बीरबल ने दूसरे गाय के दूध से पेड़े बनाए हैं। चुकी, बीरबल बादशाह का खास है इसलिए शायद जासूस उसकी शिकायत नहीं कर रहे। धीरे-धीरे यह कानाफूसी बादशाह तक जा पहुंची। तो क्रोधित बादशाह ने कहा “बीरबल नियम के अनुसार तो तुम ही विजेता हो पर इन सौ सोने के सिक्कों पर तभी तुम्हारा अधिकार होगा यदि तुम सभा मे सबको बता पाओ की तुमने उतने ही दूध में बाकी लोगों से अधिक पेड़े कैसे बनाए।
बीरबल की चतुराई
बीरबल ने कहा “जहांपनाह मेरी बिल्ली तो दूध पीते ही नहीं है, इसलिए मैंने सारे दूध के पेड़े बना दिए”। बादशाह ने गुस्से में बोले “ऐसा कैसे हो सकता है कि बिल्ली दूध ना पिए? यदि ऐसा है तो क्या मैं बिल्ली को दूध परोसने का आदेश दे दूं? यदि बिल्ली ने दूध पी लिया तो तुम्हें दंड स्वरूप सौ कोड़े मारे जाएंगे,झूठ बोलने के लिए”। बीरबल ने कहा “मुझे मंजूर है बादशाह, परंतु यदि बिल्ली ने दूध नहीं पिया तो फिर क्या होगा”? तो बादशाह ने कहा “बीरबल फिर मैं तुम्हें विजेता घोषित कर सौ स्वर्ण मुद्राएं दूंगा”। बीरबल ने कहा “मुझे मान्य है, आप बिल्ली को दूध परोसने का आदेश दें”।
यह कह कर बीरबल ने बिल्ली को आसान पे बिठा दिया और स्वयं दूर खड़ा होगया। जब सेवक ने बिल्ली को दूध परोसा, बिल्ली उल्टे पांव भाग गई। तब बीरबल ने कहा, “जहांपनाह! मैंने कहा था ना मेरी बिल्ली दूध नहीं पीती”।
अकबर ने पूछा, “बीरबल! फिर तम्हारी बिल्ली सेहतमंद कैसे है”? “मैंने उसे चावल दाल खिलाकर सेहतमंद बनाया है हुज़ूर। और, गाय के दूध के पेड़े बना दिए। इसलिए, मेरी बिल्ली भी सेहतमंद भी है। और, मेरे पास सब से अधिक पेड़े भी हैं। तो, इस हिसाब से मैं विजेता हुआ।”
सभी दरबारी इस बात से सहमत हुए और बादशाह ने बीरबल को विजेता घोषित कर दिया।
बिल्ली दूध देख कर भाग क्यों गयी?
बीरबल घूमता हुआ मित्रों के बीच पहुंचा। मित्रों ने बीरबल से पूछा “बीरबल! एक बात समझ नहीं आ रही। तुम्हारी बिल्ली दूध क्यों नहीं पीती? वह तो बिल्ली की प्रवृत्ति है”।
बीरबल ने उत्तर दिया, मेरे पास चिनिमिट्टी का ही एक बर्तन था जिसमे मैं बिल्ली को दूध पिला सकता था। पहले ही दिन, जब मैंने अपनी बिल्ली को दूध उबाल कर परोसा, वह पहली गुंट के साथ ही भाग गई। फिर, मैंने बहुत प्रयत्न किए पर उसने कभी दूध नही पिया।”
मित्रों ने बीरबल की बात सुन कर कहा, संभवतः उसका मुंह जल गया होगा और फिर मुंह जलने के डर से बिल्ली ने दोबारा कभी दूध देखा भी नहीं।”
बिल्ली और पेड़े की कहानी काफी रोचक और मजेदार कहानी है।
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