ब्यूटी और बीस्ट (Beauty and the Beast) की कहानी
दयालु ब्यूटी और बीस्ट (Beauty and the Beast) की कहानी बहुत रोचक है। राज्य की राजधानी में एक विधुर व्यापारी अपने बारह बच्चों, छह बेटों और छह बेटियों के साथ रहता था। उनमें से सबसे छोटी बेटी, ब्यूटी, अपनी दयालुता, बुद्धिमत्ता और अच्छे संस्कारो के लिए जानी जाती थी। पहले उनका परिवार बहुत सम्पन्न था। पिता बहुत बड़े व्यापारी थे। एक दिन उनके आलीशान घर में आग लग गई और वह जल कर राख हो गया। घर मे रखी सारी संपत्ति जल गई। इसके कुछ दिन बाद, उनके जहाज समुद्र में खो गए। समुद्री जहाज से व्यापारी दूसरे राज्यों से बहुमूल्य सामान लाते और बेचते थे। इस बार समुद्री जहाज में लगा सारा धन भी व्यर्थ हो गया।
परिवार को मजबूरी में ग्रामीण इलाके की एक छोटी सी झोपड़ी में जाना पड़ा। ब्यूटी को छोड़ कर उसकी बाकी बेटियां सदैव कुंठित रहती थीं। परन्तु, ब्यूटी ने मानो इस स्थिति को स्वीकार कर लिया हो। वह इसमें भी खुश रहती।
मिल गया व्यापारी का एक जहाज
दो साल बीत गए थे। एक दिन व्यापारी ने सुना कि उसका एक जहाज वापस आ गया है। अपने माल पर दावा करने के लिए जाने से पहले, उसने अपने बच्चों से पूछा कि, “बच्चों जब मैं वापिस आऊं, तब तुम्हे उपहार में मुझसे क्या चाहिए?” उनकी बेटों एवं बड़ी बेटियों ने भव्य उपहारों का अनुरोध किया, जबकि ब्यूटी ने अपने पिता की सुरक्षित वापसी के अलावा कुछ नहीं मांगा। जब पिता ने जोर दिया, तो ब्यूटी ने गुलाब के फूल का अनुरोध किया, जो उनके क्षेत्र का एक दुर्लभ फूल है। जब व्यापारी जहाज पर दावा करने पहुंचा तो अधिकारियों ने उससे कर मांगा। अभी उसके पास देने के लिए धन नही था। अब उसे ठगा हुआ महसूस हो रहा था। अब अपने बच्चों के लिए क्या ले जाए? यही सब सोचता हुआ वह चल रहा था कि वह रास्ता भटक गया।
रास्ता भटक महल में पहुंचा व्यापारी
वह रास्ता ढूंढ ही रहा था कि अचानक से तूफान आगया। वह तूफान से बचने के लिए जल्दी जल्दी चलने लगा। अचानक उसे एक महल दिखा। परंतु दरवाजे पर कोई सिपाही या दरवान नही था। वह महल के दरवाजे के अंदर चला गया। इधर उधर बिना देखे, वह दौड़ता हुआ महल की इमारत में घुस गया। वहां की सजावट और भव्यता देख कर दंग रह गया। परंतु, वहां कोई भी नही था, न राजपरिवार से कोई, न कोई सिपाही। मेज पर खाने के एक से एक व्यंजन लगे थे। व्यापारी बैठ कर खाने लगा। अच्छे अच्छे पेयपदार्थ भी थे। उसका भी आनंद लिया। व्यापारी बहुत भूखा और थका हुआ था। अत्यधिक खाने के बाद सीधा सो गया। सुबह नींद खुली तो सोचा कोई देख ले इससे पहले चला जाता हूँ।
व्यवसायी ने लिए अपने बच्चों के लिए उपहार
जाते समय व्यवसायी को एक कमरा दिखा, जिसमे किसी राजकुमार के कपड़े, जूते, इत्र और कई शौक की वस्तुएं थी। उसने अपने बेटों के लिए इसमें से कुछ चुन लिए। आगे बढ़ा तो लगा मानो किसी राजकुमारी का कमरा है। वहां से व्यापारी ने अपनी बेटियों के लिए उपहार चुन लिए। यह सब लेकर जल्दी भाग ही रहा था की उसने महल के बगीचे में गुलाब का फूल देख लिया। उसने सोचा ब्यूटी ने तो केवल एक गुलाब का फूल मांगा है चलो मैं इसे जल्दी से ले लेता हूं। उसने जाकर एक गुलाब का फूल तोड़ लिया। जैसे ही उसने गुलाब का फूल तोड़ा वैसे ही वहां एक दानव प्रकट हो गया। वह भयावह दानव शरीर से तो मनुष्य था परंतु मुख से जानवर।
दानव ने दिया दंड
दानव ने खुलासा किया कि वह व्यापारी की उपस्थिति को स्वीकार कर रहा था। बच्चों के लिए उपहार ले जाने में उसकी मदद भी कर रहा था। परंतु, व्यापारी ने जो गुलाब तोड़ा था वह उसकी सबसे कीमती संपत्ति थी। दानव ने कहा, इसे तोड़ने की सजा है। तुम्हे सदैव यहीं रहना पड़ेगा और यदि तुम नही रहना चाहते तो अपने किसी बच्चे को भेजो। तुम्हे तीन दिन का समय देता हूँ। अन्यथा तुम मृत्यु को प्राप्त हो जाओगे। व्यापारी घर आया। उसने सबको उपहार दिए। बच्चे बहुत खुश हुए। फिर व्यापारी ने बच्चों को सारी घटना सुना दी। परंतु कोई भी बच्चा व्यापारी का स्थान लेने को तैयार नही हुआ। सबने कहा, “ब्यूटी के उपहार से परेशानी हुई है इसलिए ब्यूटी ही भुगतेगी”। ब्यूटी ने अपने दयालु हृदय से स्वेच्छा से अपने पिता का स्थान लेने की पेशकश की।
ब्यूटी (Beauty and the Beast) पहुंची दानव के महल में रहने
जब वह उस दानव के महल में पहुंची तब दानव ने उसका भव्यता से स्वागत किया। ब्यूटी सुख से रहने लगी। उसकी हर एक इच्छा पूरी हो जाती थी। महल विलासिता के जीवन से भरा हुआ था। दानव को ब्यूटी बहुत ही दयालु लगी। उसे उसके शांत और प्रेमपूर्ण स्वभाव का पता चला। दानव और ब्यूटी प्रतिदिन लंबे समय तक बात करते थे। हर रात दानव ब्यूटी के सामने शादी का प्रस्ताव रखता था। परंतु, ब्यूटी मना कर देती। ब्यूटी के सपने में प्रतिदिन एक सुंदर सा मनमोहक राजकुमार आता था। ब्यूटी उसी के साथ रहना चाहती थी। परंतु वह था तो एक सपना। दानव के यहां रहते हुए पूरा 1 साल बीत चुका था। जीवन में कोई रोमांच नहीं रहा, केवल सुख ही सुख। अब यह सुख भी अच्छा नहीं लग रहा था।
ब्यूटी अपने पिता के घर पहुंची
एक दिन दानव से ब्यूटी ने कहा कि, “वह कुछ दिनों के लिए अपने पिता के घर जाना चाहती है”। दानव ने उसे एक अंगूठी दी। कहा, “जब तुम इसे पहन कर तीन बार दाहिनी तरफ घूमाओगी तब अपने पिता के घर पहुंच जाओगी और जब वहां से तीन बार बाएं ओर घूमाओगी तब यहां पहुंच जाओगी”। यह अंगूठी देकर दानव ने ब्यूटी से कहा, “2 महीने से ज्यादा मत रुकना’। ब्यूटी सहमत हो गई। घर वापस आकर, उसकी बहनें उसकी साज-सज्जा और भव्य उपहारों से आश्चर्यचकित हुईं, उनमें ईर्ष्या भड़क उठी। ब्यूटी (Beauty and the Beast) के पिता ने संकेत दिया कि उसे दानव से शादी करनी चाहिए, लेकिन उसने इनकार कर दिया।
ब्यूटी और दानव (Beauty and the Beast) हुए एक दूसरे के
जब दो महीने बीत गए, तो ब्यूटी ने एक डरावना सपना देखा। उसने सपने में देखा की दानव अपने महल के बगीचे में अकेले तड़पता हुआ मर रहा है। यह देख ब्यूटी दानव के पास वापस लौटने के लिए दौड़ पड़ी। अंगूठी घुमा कर जब वह दानव के पास पहुंची तो उसने दानव को मृत्यु के निकट पाया। इस अवस्था मे दानव को देख ब्यूटी आंसुओं से भर गई। उसने पास के झरने से पानी लाकर दानव को पिलाया। ईश्वर को मदद की गुहार लगाने लगी। धीरे धीरे दानव ठीक हो गया। ब्यूटी की खुशी का ठिकाना न रहा। दोनो महल के अंदर आए, खाना खाया फिर लंबे समय तक दोनों ने बातें की। उस रात दानव ने फिर से ब्यूटी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। इस बार ब्यूटी ने विवाह के लिए सहमति जताई। यह सुन दानव अति प्रसन्न हुआ।
दानव ही था सपनो का राजकुमार
बातें करते करते दानव सो गया। ब्यूटी ने दानव को देखा। प्रेमपूर्वक उसके चेहरे और बाल को सहलाया। फिर उसकी बाँह पर सर रख कर सोगई। सुबह को जब वह जागी, तो उसने जो देखा वह देख कर वह अचंभित रह गई। वह दानव उसके सपनों के राजकुमार में बदल गया था। तब दानव ने उसे बताया कि उसके सपनो का राजकुमार वही है। अंततः ब्यूटी और राजकुमार की शादी हो जाती है और वे सदैव खुशहाल जीवन जीते हैं (Bachchon Ki Kahaniyan)।
स्नो वाइट और सात बौने (Snow White and the Seven Dwarfs) पढ़ें। हितोपदेश की कहानियां, पंचतंत्र की कहानियां हमे सूझ बूझ सिखलाती हैं।