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गोदावरी और बंधु की अनोखी मित्रता (Godavari aur Bandhu ki mitrata)

गोदावरी और बंधु की अनोखी मित्रता (Godavari aur Bandhu ki mitrata)

गोदावरी और बंधु की अनोखी मित्रता (Godavari aur Bandhu ki mitrata) बड़ी ही प्यारी कहानी है। एक छोटे से गाँव में गोदावरी नाम की एक गाय और बंधु नाम का एक कुत्ता रहता था। जब गोदावरी कुछ दिनों की थी तब ही बंधु का भी जन्म हुआ था। बंधु भी गोदावरी के मालिक का ही पालतु था। जब गोदावरी जंगल मे घांस चरने जाती, बंधु भी साथ जाता था। सुबह उठ कर जंगल की सैर पर निकलना, दिन भर जंगल, नदी, नाले में भ्रमण करना। अंततः शाम को गांव में अपने घर लौट आना। यही इनकी दिनचर्या थी। गोदावरी बड़ी ही शांत तो बंधु थोड़ा शरारती था। गोदावरी की पीठ पर चढ़ कर बैठता तो कभी उसकी पूंछ से उसे खिंचता। परंतु, गोदावरी सदैव शांत रहती थी। यदि दोनों में से कोई बीमार पड़ जाए, तो कभी भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। दोनों की मित्रता बड़ी ही प्रगाढ़ एवं मधुर थी।

गांव में आया तूफान

एक बार की बात है गोदावरी और बंधु के मालिक अपनी बहन के घर शादी में जा रहे थे। अब बहन के घर शादी थी तो उन्हें सपरिवार जाना था। पति-पत्नी और बच्चे सभी जा रहे थे। घर पर ताला लगने वाला था। उन्होंने अपने एक चचेरे भाई से कहा कि, “घर के साथ-साथ मेरी गाय और कुत्ते का भी ध्यान रखना।” जाते समय उनके चचेरे भाई ने भी हां में हां मिला दी। परंतु बाद में वह अपनी बातों पर कायम नहीं रह पाए। उनके जाने के दो दिन बाद, गाँव में भयंकर तूफ़ान आया। उस समय गोदावरी और बंधु जंगल में ही थे। बंधु को असुरक्षित एवं असहज महसूस हो रहा था। वह जोर जोर से भौंक रहा था। गोदावरी समझ गई की बंधु असुरक्षित एवं असहज महसूस कर रहा है। वह बंधु के साथ घर की ओर निकल पड़ी।

गोदावरी पर गिर गया पेड़ (Godavari aur Bandhu ki mitrata)

दोनो जल्दी जल्दी घर की ओर भाग रहे थे। गांव तो पहुंच चुके थे। परंतु घर अभी भी दूर ही था। तभी हवा के तेज़ झोंके से एक बड़ा सा पेड़ गिर गया। यह क्या? पेड़ का डालियों वाला हिस्सा गोदावरी पर गिर गया। गोदावरी ने बहुत प्रयत्न किए, परंतु वह निकलने में असमर्थ थी। बंधु भी चारो तरफ से घूम घूम कर गोदावरी को देख रहा था। बंधु आते जाते लोगों के पास जा कर भौंक रहा था। परंतु लोग स्वयं को और अपनों को सुरक्षित करने में व्यस्त थे। गोदावरी भी तकलीफ में रंभा रही थी। बंधु भी भौंक रहा था। परंतु, कोई भी मदद के लिए नही आरहा था।

बंधु का अथक प्रयास (Godavari aur Bandhu ki mitrata)

बंधु ने हार नही मानी। अपने अति प्रिय मित्र को बचाने के लिए वह भी डाली के पास चला गया। अपने पैरों से बंधु जमीन को खोदने लगा। खोदते खोदते जब इतना जगह बन गया कि अब गोदावरी थोड़ी बहुत हिल सकती थी। तब गोदावरी ने कमज़ोर डालियों को तोड़ना शुरू किया। बंधु के लिए और स्थान बना। बंधु ने अलग अलग तरफ से खुदाई की। गोदावरी और बंधु का प्रयास देख कर धीरे धीरे गांव वाले भी उनकी मदद को आने लगे। फिर क्या था? देखते ही देखते, पेड़ को हटा कर गोदावरी को सुरक्षित निकल लिया गया।

सीख:

जीवन के कठिन समय मे सच्चे दोस्त परखे जाते हैं। दृढ़ संकल्प के साथ किया गया प्रयास हमेशा सुखद साबित होता है।

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