क्या सच में बनारस ने इंदिरा गाँधी को सुनने के लिए एक वर्ष की प्रतीक्षा (Long wait for Indira Gandhi) की थी?
एक वर्ष की प्रतीक्षा (Long wait for Indira Gandhi) का यह किस्सा है 1979 का है।। तब केंद्र में चौधरी चरण सिंह जी की सरकार थी। यह सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही थी। जब कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया तो चौधरी चरण सिंह की सरकार गिर गई। इसी कारण देश मे लोकसभा के मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी गई। देशभर में चुनावी रैलियां होने लगी। नेतागण अपनी जनसभाएं संबोधित करने लगे। उन दिनों इंदिरा गांधी कांग्रेस (आई) का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं। इस चुनाव में कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी पंडित कमलापति त्रिपाठी थे। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी जनता दल (एस) से लोकबंधु नारायण थे।
बनारस में इंदिरा गांधी की जनसभा (Long wait for Indira Gandhi)
चुनाव के दौरान, बनारस के जनसभा को संबोधित करने के लिए इंदिरा गांधी बनारस आने वाली थी। बनारस के बेनिया बाग में 31 दिसंबर 1979 को इंदिरा गांधी की चुनावी जनसभा होनी थी। परंतु, इस जनसभा से पहले इंदिरा गांधी को बिहार और यूपी में सभाएं करनी थी। इन सभाओं को करने के पश्चात उन्हें बनारस के बेनियाबाद में पहुंचना था। इन सभाओं को पूरा करते-करते देरी हो गई। परंतु, बनारस में होने वाली जनसभा को अब टालना नामुमकिन हो चुका था। इंदिरा गांधी के भाषण को सुनने के लिए, जनता शाम से ही मैदान में पहुंचने लगी थी। इंदिरा जी को शाम 8:00 बजे जनता को संबोधित करना था। बेनिया बाग में भीड़ बढ़ती जा रही थी।
ठंड और इंदिरा जी का इंतज़ार (Political Stories)
31 दिसंबर की शाम थी। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ना ठंड कम हो रही थी, ना इंदिरा जी आ रही थी न भीड़ कम हो रही थी। ठंड से बचने के लिए भीड़ ने धीरे-धीरे तापने के लिए आग जलानी शुरू कर दी। मंच पर कभी नेता बोल रहे थे, तो कभी कवि बोल रहे थे, तो कभी कोई चुनावी वक्ता कुछ कह रहे थे। पंडित कमलापति मंच पर बैठे हुए श्रीमती गांधी का इंतजार कर रहे थे। भीड़ इतनी जमा हो चुकी थी की जनसभा स्थगित करना असंभव सा लग रहा था। सुबह के तीन बज चुके थे और अंततः इंदिरा जी मंच पर पहुंचीं। जब इंदिरा जी मंच पर पहुंची, तब मंच का संचालन कवि बेधड़क बनारसी कर रहे थे।
क्या हुआ फिर?
उन्होंने श्रीमती गांधी को आते देख कहा, “इंदिरा जी! राजनीतिक इतिहास (Political Stories) की अनोखी घटना है। हम आपके इंतजार में साल भर (Long wait for Indira Gandhi) से इसी मैदान में बैठे हैं।” इस पर इंदिरा गांधी भी मुस्कुराने लगी। बात यह हुई की इंदिरा गांधी का इंतजार 31 जनवरी 1979 से हो रहा था और अब सुबह 3:00 बजे 1 जनवरी 1980 हो चुका था। 365 दिन तो नही बीते थे, परंतु कैलेंडर जरूर बदल गया था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने श्रोताओं को निराश नहीं किया। बल्कि, अपने श्रोताओं के लिए लंबा भाषण दिया। उनके भाषण एवं जनसभा संबोधित करने का फल पंडित कमलापति त्रिपाठी जी को मिला। जब नतीजे आए तो बनारस के लोकसभा चुनाव के 22 प्रत्याशियों में से पंडित कमलापति विजयी हुए। उन्हें 1.29 लाख वोट मिले थे। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी लोकबंधु नारायण को 1.04 लाख वोट मिले थे।
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