शेख चिल्ली का नाम कैसे पड़ा ?

शेख चिल्ली का नाम कैसे पड़ा

शेख चिल्ली का नाम कैसे पड़ा, ये बड़ी रोचक कहानी है। मियां शेख चिल्ली के बचपन की बात है। वह उस समय शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। एक दिन विद्यालय में कक्षा चल रही थी। उनके शिक्षक उन्हें ओर उनके साथियों को व्याकरण पढ़ा रहे थे। शिक्षक ने बताया की अधिकत्तर लड़के के साथ क्रिया में आकार और लड़की के साथ ईकार लगता है। जैसे कि, लड़का खाना खाता है तथा लड़की खाना खाती है। लड़का पानी पीता है तथा लड़की पानी पीती है। इसी प्रकार से बच्चों को अलग अलग उदाहरण देकर शिक्षक महोदय ने समझाया।

कुँए में लड़की का गिरना

कक्षा समाप्त हुई। बच्चे घर जाने लगे। मियां शेख भी आपने घर जा रहे थे। कुछ दूर पहुंचने पर उन्होंने कुवें से एक लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनी। मियां शेख कुवां के पास गए और उन्होंने देखा कि एक लड़की कुवें में से चीख रही है। उसे देख कर वो भी जोर जोर से चीखने लगे “लड़की कुवें में चिल्ली रही है, लड़की कुवें में चिल्ली रही है, लड़की कुवें में चिल्ली रही है”।उन्हें चिल्लाते सुन कर लोग जमा होगए। और सबकी मदद से लड़की को बाहर निकल लिया गया।

शेख की माता जी आना

तभी मियां शेख की माता जी वहां आ गई। और, उन्होंने शेख से डांटते हुए कहा ” सीधा घर आना है, इधर उधर कैसे घूमते रहते हो? सीधा घर चलो”। डांट खा कर शेख घर पहुंचे ही थे की उनकी मित्र मंडली आ पहुंची। तथा, उनका नाम लेकर पुकारने लगी। वो झट से घर के बाहर आए। तथा, अपने मित्रों से प्रसन्नतापूर्वक बातें करने लगे। बातों ही बातों में वह भूल गए कि माता अभी क्रोधित ही हैं। तभी उनके एक मित्र ने उनसे खेलने चलने को कहा। वो उत्तर दे पाते इससे पहले ही अचानक से उनकी माता आ गई। तथा, सब को डांट लगानी शुरू कर दी। उसके बाद माता ने मियां शेख से कहा “हाथ-मुंह धोकर खाना खाने बैठो, यहां समय बर्बाद मत करो”। ये कह कर माता जी चली गई।

दोस्तों का मनाना

तब शेख ने अपने दोस्तों से कहा “मैं खेलने नहीं आ सकता”। तथा, वो जाने लगे। तभी उनके एक मित्र ने उन्हें मनाने की कोशिश की। इस पर झल्लाकर शेख कहने लगे “तुम देख नहीं रहे माता चिल्ली रही है”।

तो उनके एक दोस्त ने उनसे पूछा “तुम्हें क्या हो गया है? यह तुम कैसे बोलने लगे हो? उस समय भी तुम कह रहे थे कि लड़की कुँए में चिल्ली रही है, अभी तुम कह रहे हो माता चिल्ली रही है। ऐसे बात क्यों कर रहे हो?” मियां शेख गुस्से में बोले “जब कक्षा में शिक्षक महोदय पढ़ा रहे थे तब तुम्हारा ध्यान कहां था? उन्होंने कहा था ना की “जब भी हम महिला या लड़की को संबोधित करेंगे तो ईकार की मात्रा लगाएंगे”। उनकी यह मंद बुद्धि वाली बातें सुनकर, उनके मित्र ठहाका लगाकर हंसने लगे। तथा, उन्हें यह कह कर चिढ़ाने लगे की “ना लड़की चिल्ली रही है ना माता चिल्ली रही है, तुम चिल्ली हो। तथा ऐसे ही चिढ़ाते चिढ़ाते मियां शेख का नाम मियां शेखचिल्ली पड़ गया।

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