बुद्ध पूर्णिमा की कहानी (Buddha Purnima)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) की कहानी: वैशाख पूर्णिमा एवं बुद्ध पूर्णिमा का संबंध

Buddha Purnima 2024

वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के नाम से भी जाना जाता है। भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था। इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध अनुयायियों के साथसाथ हिंदुओं के लिये भी खास पर्व है। हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, गौतम बुद्ध के जीवनकाल को 563-483 .पू. के मध्य माना गया है। गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी वन में, इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन और महारानी महामाया के पुत्र के रूप में हुआ था। पुत्र के जन्म से पहले महारानी महामाया अपने राज्य से अपने मायके जा रही थी। और बीच में, लुम्बिनी वन में ही अपने शिशु को जन्म देने का मन बना लिया।

बुद्ध के बचपन का नाम क्या था ?

शिशु का नाम सिद्धार्थ दिया गया, जिसका अर्थ है वह जो सिद्धी प्राप्ति के लिए जन्मा हो। बुद्ध होने से पूर्व इनका नाम सिद्धार्थ था। जन्म समारोह के दौरान, विद्वान ब्राह्मण साधु आसित ने अपने पहाड़ के निवास से घोषणा की, कि बच्चा या तो एक महान राजा या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा। शुद्दोधन ने पुत्र के जन्म के पांचवें दिन एक नामकरण समारोह आयोजित किया और आठ ब्राह्मण विद्वानों को भविष्य पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। सभी ने एक सी दोहरी भविष्यवाणी की, कि बच्चा या तो एक महान राजा बनेगा या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा।

राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म, उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति और गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण तीनों वैशाख पूर्णिमा को हुआ था। इसी पूर्णिमा तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात, बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को सत्य का ज्ञान हुआ था। और वे भगवान बुद्ध हुए। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने, अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था।

बुद्ध का महापरिनिर्वाण कहाँ हुआ था ?

गौतम बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में इसी पावन दिन यानी वैशाख पूर्णिमा (Buddha Purnima) को उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में अपने देह का त्याग किया था। बहुत जगहों पर इस स्थान को कुशीनारा के नाम से भी संबोधित किया जाता है। एवं निर्वाण के मार्ग पर मृत्यु को अपनाने को महापरिनिर्वाण कहते हैं। भगवान बुद्ध के जीवन में उनका जन्म, उनका बुद्ध होना एवं उनका देह छोड़ना, ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं।

क्या आप जानते हैं कि कहां कहां मनाई जाती है बुद्ध पुर्णिमा (Buddha Purnima)?

भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती मनाई जाती है।

भारत के बिहार राज्य में स्थित बोधगया, बुद्ध अनुयायियों के लिये भी पवित्र धार्मिक स्थल है। बुद्ध के अनुयायी बौद्ध एवं हिन्दू दोनों है। यहां भगवान बुद्ध से जुड़ा यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है। श्रीलंका जैसे कुछ देशों में इस उत्सव को वेसाक उत्सव के रूप में मनाते हैं।

बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। भगवान बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये आराध्य नहीं है, बल्कि भारत में गौतम बुद्ध को हिंदुओं में भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार भी माना जाता है।

हालांकि, बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार नही मानते हैं। बौद्धों के लिए बिहार का बोधगया नामक स्थान गौतम बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। बोधगया के अतिरिक्त, कुशीनगर, लुम्बिनी तथा सारनाथ भी अन्य तीन महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। ये है वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा के बीच का संबंध।