महिला के शुभ कदम (Mahila ke Shubh Kadam)

महिला के शुभ कदम (Mahila Ke Shubh Kadam) – प्रेरक कहानी 

Mahila ke Shubh Kadam

महिला के शुभ कदम (Mahila Ke Shubh Kadam) एक उदार ह्रदय व्यक्ति की कहानी है। रमेश ऑफिस से घर जाते वक्त फल और सब्जियां ले जाया करते थे। आज शनिवार का दिन था। ऑफिस से निकलते वक्त उन्हे याद आया आज शनि बाजार लगा होगा क्यों न आज सप्ताह भर के लिए फल और सब्जी ले लूं। ऑफिस से निकल कर रमेश सबसे पहले शनि बाजार पहुंचा। बाजार में एक ठेले पर नजर पड़ी तो देखा उसके पास सारे फल काफी ताजे दिख रहे। रमेश ने अपनी कार सड़क किनारे खड़ी की और हाथ में थैला लेकर उस ठेलेवाले के पास पहुंच गए।

फल का भाव पूछना

रमेश ने दुकानदार से पूछा: केले और सेब का क्या भाव है?

दुकानदार: केले 50 रु.दर्जन और सेव 150 रु. किलो।

उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आयी और बोली मुझे एक किलो सेब और एक दर्जन केले चाहिए, क्या भाव है भैया?
दुकानदार: केले 15 रु दर्जन और सेब 35 रु किलो।
औरत ने कहा: जल्दी से दे दीजिए
ठेले के पास पहले से मौजूद ग्राहकों ने खा जाने वाली निगाहों से घूरकर दुकानदार को देखा। इससे पहले कि वो कुछ कहता, दुकानदार ने ग्राहकों को इशारा करते हुए थोड़ा सा इंतजार करने को कहा। औरत खुशी खुशी खरीदारी करके दुकान से निकलते हुए बड़बड़ाई हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्र है, मेरे बच्चे फलों को खाकर बहुत खुश होंगे।

महिला के शुभ कदम (Mahila Ke Shubh Kadam) कैसे ?

औरत के जाने के बाद, दुकानदार ने पहले से मौजूद ग्राहकों की तरफ देखते हुए कहा: ईश्वर गवाह है, भाई साहब मैंने आपको कोई धोखा देने की कोशिश नहीं की। यह विधवा महिला है, जो चार छोटे छोटे बच्चों की मां है। किसी से भी किसी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं है। मैंने कई बार कोशिश की है और हर बार नाकामी मिली है।

तब मुझे यही तरीकीब सूझी है कि जब कभी ये आए तो, मै उसे कम से कम दाम लगाकर चीज़े दे दूँ। मैं यह चाहता हूँ कि उसका भरम बना रहे और उसे लगे कि वह किसी की मोहताज नहीं है।

मैं इस तरह भगवान के बन्दो की पूजा कर लेता हूँ। थोड़ा रूक कर दुकानदार बोला: यह औरत हफ्ते में एक बार आती है। भगवान गवाह है, जिस दिन यह आ जाती है उस दिन मेरी बिक्री बढ़ जाती है और उस दिन परमात्मा मुझपर मेहरबान हो जाता है। रमेश की आंखों में आंसू आ गए। उसने आगे बढकर दुकानदार को गले लगा लिया और बिना किसी शिकायत के अपना सौदा खरीदकर खुशी खुशी चला गया। आज रमेश को पता चला खुशियां बांटने से बढ़ती है। बिना किसी की बात को जाने किसी को बुरा नही समझना चाहिए। फल वाले ने आज रमेश को जीवन की एक बड़ी सीख दे दी।