महाराज सत्यव्रत और नारियल की कहानी (Nariyal Ki Kahani)

महाराज सत्यव्रत और नारियल की कहानी (Nariyal Ki Kahani)

नारियल की कहानी (Nariyal Ki Kahani) एक प्राचीन कहानी है। प्राचीन काल में सत्यव्रत नामक एक राजा थे। वो धार्मिक प्रवृति के थे, प्रतिदिन पूजा पाठ करते थे। उनके पास सब कुछ था। वह धन और हर तरह की सुविधाओं से संपन्न थे। इसके बावजूद भी राजा ने एक सपना था, जिसे वह पूरा करना चाहते थे। दरअसल, राजा सत्यव्रत को किसी तरह स्वर्ग जाना था। वो इस जीवन में स्वर्ग को देखना चाहते थे और उसका आनंद लेना चाहते थे।

ऋषि विश्वामित्र का तपस्या के लिए जाना

उसी काल में ऋषि विश्वामित्र अपनी तपस्या करने के लिए घर से निकले। समय बीत गया, लेकिन वह वापस नहीं आए। इसलिए उनका परिवार प्यास और भूख से तड़प रहा था। यह बात राजा सत्यव्रत को पता चला कि ऋषि विश्वामित्र के परिवार के यहाँ इतनी बड़ी विपदा आ पड़ी है। महाराज ने अविलम्ब ऋषि विश्वामित्र के यहाँ समुचित वस्तुएं भेजी और जब तक ऋषि विश्वामित्र नहीं आये देखभाल की।

सत्यव्रत द्वारा ऋषि विश्वामित्र से वरदान मांगना 

ऋषि विश्वामित्र कुछ समय बाद लौटे और अपने परिवार को कुशल देख बहुत खुश हुए। उनका प्रश्न था कि उनकी अनुपस्थिति में उनकी देखभाल किसने की? ऋषि के परिवार ने बताया कि राजा ने उनका ख्याल रखा। यह सुनते ही ऋषि विश्वामित्र राजमहल गए और राजा से मिले। वहां पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले महाराज को धन्यवाद दिया। राजा ने इस पर ऋषि से अपनी इच्छा पूरी करने का आशीर्वाद मांगा। राजा की बात सुनकर ऋषि विश्वामित्र ने कहा, “महाराज आपको क्या वरदान चाहिए?” महाराज ने कहा “हे मुनि! मुझे एक बार स्वर्गलोक देखना है। ” मुझे वहां जाने का वरदान दें।“

सत्यव्रत को स्वर्ग से धक्का

राजा की विनती सुनकर ऋषि विश्वामित्र ने एक मार्ग बनाया जो स्वर्ग की ओर ले जाता था। यह देखकर राजा सत्यव्रत बहुत प्रसन्न हुए। वह उस मार्ग से स्वर्गलोक तक पहुंच गए। बिना बुलाये राजा के वहां पहुंचने पर देवराज इंद्र ने उन्हें नीचे धक्का दिया, जिससे वे सीधे धरती पर गिर पड़े। राजा सत्यव्रत को बहुत बुरा लगा और उन्होंने सारी घटना ऋषि विश्वामित्र को बताया। राजा की बात सुनकर ऋषि विश्वामित्र क्रोधित हो गए। वे तुरंत सभी देवताओं से संपर्क करके इस समस्या का समाधान निकाला। फिर राजा के लिए एक नया स्वर्ग बनाया गया। ताकि किसी को परेशानी न हो, नए स्वर्गलोक को पृथ्वी और देवताओं के स्वर्गलोक के बीचोबीच बनाया गया था।

नारियल का बनना (Nariyal Ki Kahani)

राजा को नया स्वर्ग बनाकर ऋषि विश्वामित्र ने दिया। विश्वामित्र को एक आशंका थी कि कहीं वायु के प्रभाव से ये स्वर्ग गिर न जाए। अगर ऐसा हुआ तो राजा सत्यव्रत फिर से गिर जाएंगे। ऋषि विश्वामित्र ने बहुत सोचविचार करके एक समाधान सुझाया। ताकि नवजात स्वर्ग को सहारा मिल सके, उन्होंने उसके नीचे एक बहुत लंबा खंभा लगाया।

ऐसा कहा जाता है कि राजा सत्यव्रत की मृत्यु के बाद उनका सिर एक फल में बदल गया जो नारियल है (Nariyal Ki Kahani) और स्वर्ग के नीचे लगा खंभा एक बड़े पेड़ के तने में बदल गया। इस खंभे को तब से नारियल का पेड़ कहा जाता था। नारियल का पेड़ इसलिए इतना लंबा होता है।

कहानी की सीख 

इस कहानी से पता चलता है कि हर सपना पूरा किया जा सकता है बस सच्चे मन से प्रयास करने की जरूरत है।

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