हितोपदेश-धोबी का गधा और खेतवाला शिकारी

धोबी का गधा और खेतवाला शिकारी

हितोपदेश की कहानी धोबी का गधा और खेतवाला शिकारी की कहानी काफी शिक्षाप्रद कहानी है। हस्तिनापुर में एक विलास नामक धोबी रहता था। विलास अपने गधे से खूब काम करवाता था। गधे को ठीक से खाना भी नहीं देता था। अधिक बोझ ढ़ोने और कम खाना मिलने से गधा बहुत कमजोर हो गया था। अब वो काम लायक नहीं रहा था। विलास ने उस गधे को घर से बाहर कर दिया। जाते जाते उसपर घर में पड़ा पुराना बाघम्बर (बाघ की खाल) ऊपर से बांध दिया। धोबी ने सोचा इस पुराने बाघम्बर का कोई काम नहीं पर इससे गधे से दूसरे जानवर डरेंगे। गधा एक खेत में घुस गया। उस खेत का रखवाला इसे बाघ समझ कर अपना खेत छोड़ कर भागा। इस तरह गधे के दिन आनंद से बीतने लगे। कोई काम नहीं सिर्फ अच्छी फसल खा खा कर गधा मोटा तगड़ा और मजबूत हो गया।

बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा

गांव के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि कैसा शेर है फसल खाता है। गांव का खेतवाला जो शिकारी था उसने सोचा अब बहुत हुआ इस शेर को मारा जाए। खेतवाला खेत में धनुष पर बाण चढ़ा कर, छुप कर बैठ गया। अचानक वो शेर प्रकट हुआ। खेतवाला शिकारी डर गया। वो गधा खेत चरने के बाद ढेंचू ढेचूं करने लगा। खेतवाला शिकारी समझ गया कि ये शेर नहीं गधा है। शिकारी ने गुस्से में बाण चलाया। बाण लगते ही बाघम्बर ओढ़े गधे के प्राण पखेरू उड़ गए।

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