रंगरेज तेनालीराम (Rangrez Tenaliram) और राजा का आदेश

रंगबिरंगी मिठाईयों का आदेश और रंगरेज तेनालीराम (Rangrez Tenaliram)

रंगरेज तेनालीराम (Rangrez Tenaliram) बहुत ही प्रेरणादायक कहानी (Preranadayak Kahaniyan) है। वसंत ऋतु आते ही विजयनगर के लोग वसंतोत्सव के लिए राजा के आदेश की प्रतीक्षा करने लगे। दरबारियों में भी यही बात खुसर फुसर हो रही थी। राजा कृष्णदेव राय तक भी यह बात पहुंची गई। महाराज ने कहा, “यह तो बड़ी अच्छी बात है की, जनता वसंत उत्सव मनाना चाहती है। आज से ठीक 3 दिन के बाद वसंतोत्सव आरंभ होगा। तीन दिन का समय लोगों को तैयारी के लिए दी जाती है। इस वसंत उत्सव हम अलग-अलग प्रकार के प्रतियोगिताएं भी रखेंगे। चूंकि, वसंत रंगों के लिए जाना जाता है तो मैं चाहूंगा कि पूरे विजयनगर में रंग बिरंगी मिठाइयां बिके। महाराज का आदेश सुनते ही विजयनगर के लोगों में हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ गई।

वसंतोत्सव के आदेश के साथ गायब हुए तेनालीराम

सभी लोग अतिशीघ्र वसंतोत्सव की तैयारी करना चाहते थे। तेनालीराम के दिमाग में भी एक ख्याल आया। अगले दिन से तेनालीराम दरबार में दिखाई ही नहीं दे रहे थे। एक दिन बिता। दो दिन बीता। तीसरे दिन महाराज ने सैनिकों को तेनालीराम को ढूंढने का आदेश दिया। सैनिकों ने तेनालीराम की तलाश शुरू कर दी। वह उनके घर गए तो तेनालीराम के घर वालों ने कहा कि, “वह तो प्रतिदिन सुबह-सुबह ही चले जाते हैं और रात को भी देर से घर आते हैं” सैनिकों को कुछ समझ नहीं आया। फिर सैनिक उनके अन्य रिश्तेदारों के घर गए। दोस्तों के घर गए। परन्तु, तेनालीराम कहीं नहीं मिले।

तेनालीराम बन गए रंगरेज

गली-गली में घूमते हुए सैनिकों को पता चला कि, तेनालीराम रंगरेज (Rangrez Tenaliram) की दुकान चला रहे हैं। वहां वे सादे कपड़ों को रंग कर रंग बिरंगा बना रहे थे। सैनिकों ने उनसे कुछ नहीं कहा और चुपचाप महल की ओर चल पड़े। वापस दरबार में लौटकर सैनिकों ने राजा कृष्ण देव राय से कहा, महाराज! तेनालीराम तो रंगरेज की दुकान चला रहे हैं। महाराज ने दो क्षण सोचा, फिर सिपाहियों से कहा, “तेनालीराम को शीघ्र अति शीघ्र मेरे सामने उपस्थित किया जाए। यदि वह आने से मना कर दें तो उन्हें बलपूर्वक लेकर आया जाय।

दरबार मे प्रस्तुत किये गए तेनालीराम

सैनिक वापस से तेनालीराम के पास गए। सैनिकों ने तेनालीराम से कहा, “यह राजा का आदेश है की आपको दरबार में प्रस्तुत किया जाए। यदि आप चलने से मना करेंगे तो हमें आपको बलपूर्वक ले जाना पड़ेगा।” तेनालीराम सैनिकों के साथ दरबार में प्रस्तुत हुए। राजा कृष्णदेव राय क्रोधित होकर तेनालीराम से पूछते हैं, “क्या बात है तेनालीराम? आज तीसरा दिन था और आप दरबार में सम्मिलित नहीं हुए? यह मैं क्या सुन रहा हूं कि आप रंगरेज का काम कर रहे हैं? इस दरबार में उपस्थित रहने से अधिक आनंद आपको रंगरेज का कार्य करने में मिल रहा है? उत्तर दीजिए।”

रंगरेज तेनालीराम (Rangrez Tenaliram) ने बताया कारण

हाथ जोड़कर तेनालीराम ने कहा, “महाराज! आपके आदेश के अनुसार राज्य में सारे रंग खत्म होने वाले हैं। इसीलिए, मैंने सोचा कि सारे कपड़े पहले रंग देता हूं। वरना, महोत्सव में लोगों को नए कपड़े प्राप्त नहीं हो पाएंगे। महाराज को तेनालीराम की बातें अटपटी लगी। महाराज ने तेनालीराम से कहा, “मेरे आदेश नए कपड़ों में कमी का आपस में क्या संबंध है? तो तेनालीराम ने कहा, “महाराज आपने पूरे राज्य में रंग-बिरंगी मिठाइयां बेचने का आदेश दिया है। परंतु, राज्य में इतने खाद्य रंग नहीं है। इस वजह से रंगरेज जो रंग इस्तेमाल करते हैं, वही रंग मिठाई बनाने वाले भी थोक में खरीद रहे हैं। अगर वो ऐसा करेंगे तो फिर उत्सव में लोगों को नए कपड़े रंग कर कहां से उपलब्ध होंगे? इसीलिए, मैंने सोचा जल्दी-जल्दी बहुत सारे नए कपड़े रंग लेता हूं।

रंग बिरंगी मिठाईयों पर लगी रोक

राजा कृष्ण देव राय समझ गए कि उनके आदेश का अनुचित अर्थ निकाला गया है। खाद्य रंग के जगह मिठाइयों के लिए रासायनिक रंग का प्रयोग करने की तैयारी है। महाराज ने अविलंब रंग बिरंगी मिठाइयों के बनाने पर रोक लगा दिया। साथ ही आदेश दिया, “जो भी रासायनिक रंगों से बनी मिठाइयां बेचता हुआ पकड़ा गया, उसे आजीवन कारावास भोगना पड़ेगा। रासायनिक रंग भोजन में प्रयोग करने के लिए नहीं होते। तेनालीराम को मुस्कुराता देख राजा भी मुस्कुराने लगे। महाराज ने कहा, “तेनालीराम की सूझबूझ से आज हमारे राज्य के लोग रासायनिक रंगों से युक्त मिठाइयां खाने से बच गए। जिससे उनकी जान पर भी संकट बन जाता। तेनालीराम की सूझबूझ के लिए उन्हें 500 स्वर्ण मुद्राऐं देने का आदेश दिया जाता है।”

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