भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) ने क्यों किया अपनी माता का वध?

भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) की कहानी

किनके पुत्र एवं भाई हैं भगवान परशुराम?

भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) विष्णु के छठे अवतार हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि तथा माता का नाम रेणुका है। वे अपने चार बड़े भाइयों तथा माता-पिता के साथ गंगा नदी से कुछ दूरी पर अपने आश्रम में रहते थे। भगवान परशुराम के चार बड़े भाइयों के नाम हैं: रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु। भगवान परशुराम अपने माता पिता के आदेश का अक्षरसह पालन करते थे। माता पिता के प्रति उनकी श्रद्धा अथाह थी।

माता से अथाह प्रेम करने वाले भगवान परशुराम ने आखिर क्यों किया अपनी माता का वध?

एक दिन की बात है, माता रेणुका हवन पूजन के लिए गंगा तट पर जल लाने गई थीं। जल लेकर लौटते समय उनका ध्यान जलविहार करते राजा चित्र रथ एवं अप्सराओं पर पड़ा। वे इस दृश्य को देखते रह गई और एक लंबा समय इसमें बीत गया। महर्षि जमदग्नि हवन पूजन हेतु बैठे हुए थे और उन्हें देर हो रही थी। तभी उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से जानना चाहा कि आखिर देवी रेणुका को इतना विलंब क्यों हो रहा है? यह सब जानते ही वह अति क्रोधित हो उठे। जब तक देवी रेणुका आश्रम पहुंची तब तक पूजन हवन में विलंब हो चुका था और महर्षि जमदग्नि आग बबूला थे। क्रोध में उन्होंने अपनी पत्नी को मर्यादा विरोधी आचरण करने हेतु दंड दिया। महर्षि जमदग्नि एवं माता रेणुका के सभी पुत्र वहां उपस्थित थे। उन्होंने एक-एक कर अपने पुत्रों को अपनी माता का वध करने का आदेश दे दिया।

भूत भविष्य जानने वाले विष्णु अवतार भगवान परशुराम

अपने पिता की अवेहलना कर उनके चार पुत्रों ने माता का वध करने से मना कर दिया। पिता की आज्ञा विमुख होने के कारण महर्षि जमदग्नि में अपने चार पुत्रों को विचार शून्य होने का श्राप दे दिया। यह सब भगवान परशुराम देख रहे थे। तभी महर्षि जमदग्नि ने अपने सबसे छोटे पुत्र भगवान परशुराम से माता का वध करने को कहा। तब भूत भविष्य जानने वाले भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) ने बिना एक क्षण समय व्यतीत किए, अपनी माता का सर काट कर उनका वध कर दिया। यह देख महर्षि जमदग्नि अति प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने बेटे परशुराम से तीन वरदान मांगने को कहा। तब इन सब बातों को पहले से जानने वाले भगवान परशुराम ने तीन वरदान मांगे।

कौन से तीन वरदान मांगे भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) ने अपने पिता महर्षि जमदग्नि से?

पहला, माता रेणुका पुनर्जीवित हों और उनके चारों भाई स्वस्थ हो जाएं। दूसरा, इनमें से किसी को भी इन बातों की स्मृति ने रहे। तीसरा, वे दीर्घायु एवम अजय हों। भगवान परशुराम की मांग सुनकर महर्षि जमदग्नि को अपने क्रोध का एहसास हुआ। तथास्तु कह कर उन्होंने अपने पुत्र को तीनों वरदान दे दिए। महर्षि जमदग्नि समझ चुके थे की, कोई भी पुत्र ऐसे अपनी माता का वध नहीं कर सकता। जब तक वह स्वयं भूत भविष्य जानने वाला ना हो। मन ही मन उन्होंने पुत्र धन रूप में प्राप्त भगवान विष्णु को प्रणाम किया।

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