भूतहा बगीचा (Bhootha Bagicha)

भूतहा बगीचा (Bhootha Bagicha)

कभी कभी वास्तविक जीवन में भी भूतहा बगीचा (Bhootha Bagicha) का अहसास होता है। झारखंड के चतरा जिले के एक गांव की बात है। गर्मी का महीना था। आम पेड़ों में पककर तैयार हो रहे थे। जैसे ही थोड़ी तेज चलती तो पके हुए आम पेड़ों से गिर जाते। पेड़ के पके मीठे आमों को खाने का मजा ही कुछ और है। इस स्वाद को केवल वही जानते हैं, जिन्होंने पेड़ के पके आम को खाया है। जैसे ही हवा चलती गांव के बच्चे नवयुवक बगीचे में दौड़ जाते। गांव और बागीचे की बीच हनुमान जी का बड़ा सा मंदिर था। वहां विधिवत रूप से पूजा होती थी। आस पास के क्षेत्र में इस मंदिर की बहुत मान्यता भी थी। आमतौर पर गांव में रहने वाले सभी निवासी एक दूसरे के रिश्तेदार ही थे। इस गांव के सभी निवासी एक ही परिवार के वंशज थे।

बगीचे में चुड़ैल (Bhoot Ki Kahani)

आम के बगीचे में लोग झुंड में ही जाते थे। अकेले जाने की लोग हिम्मत नही करते थे। इसके मुख्यतः दो कारण थे। एक तो आम का बगीचा बहुत बड़ा था। उस बगीचे में करीब आम के 150 पेड़ थे। गांव के पास में ही जंगल भी था। इसलिए जंगल मे थोड़ी ही दूर जाने पर जंगली जानवरों का खतरा लगने लगता था। दूसरा, बहुत से लोगों को वहां डरावने एहसास हुवे थे। गांव के लोगों का मानना था कि आम का बगीचा भूतहा है। बुजुर्गों का मानना था कि बगीचे में चुड़ैल रहती है। परंतु, आम के लालच में लोग फिर भी जाते थे। कुछ तो इन बातों को अफवाह भी मानते थे।

आंधी और भूतहा बगीचा (Bhootha Bagicha)

एक बार की बात है। रात के लगभग एक बज रहे थे। पूरे गांव में सन्नाटा था। लगभग पूरा गांव सो रहा था। गर्मियों के समय मे प्रायः सभी लोग आंगन में ही खटिया लगा कर सोया करते थे। अचानक से मौसम में बदलाव हुआ। हवाएं जोर से चलने लगी। कुछ लोगों की नींद खुली। उनका ध्यान आम पर गया। बालक बालिकाओं को रात के समय घर से बाहर जाने की अनुमति नही थी। परंतु, युवाओं पर ऐसी कोई रोक नही थी। जैसे ही आंधी चली, जगे हुए युवक युवतियों भूतहा बगीचा (Bhootha Bagicha) की ओर दौड़ पड़े।

और कौन चुन रहा था आम?

जब भीम वहां पहुंचा तो देखता है उसके चचेरे भाई बहन वहां पहले से आम चुन रहे हैं। यह देख वह बगीचे में थोड़ा आगे जाकर आम चुनने लगा। तभी उसकी एक चचेरी बहन भी उसके पास आकर आम चुनने लगी। वह जब तक दो चार आम चुनता वह आगे के लगभग 7-8 आम चुन लेती। तभी खीज कर भीम कहता है, विधि दीदी! मैं जहां आम चुन रहा हूँ, वहीं क्यों आगयी हो? आगे जाकर चुनो! तभी विधि ने पीछे से आवाज लगाई, भीम! मैं तो यहाँ हूँ। भीम ने पीछे देख कर कहा, “अरे! तुम वहाँ हो तो यहाँ कौन है?” जब आगे मुड़ा तो वहाँ कोई नही था। उसके भाई बहन भी कहने लगे, “पागल है क्या? तू तो अकेला ही है वहां!” भीम थोड़ा घबराया फिर आम चुनने लगा।

आ गयी चुड़ैल (Bhoot Ki Kahani)

ये लोग आम चुन ही रहे थे कि, अचानक एक लड़का चिल्लाने लगा। भागो! यहां कोई और भी है। वह देखो सामने से आरही है। सबने नज़र उठा कर देखा तो एक महिला की बड़ी सी परछाई इनकी तरफ चली आरही थी। साहसी भीम ने जब उस परछाई की ओर टोर्च से रोशनी दिखाई तो सब के होश उड़ गए। वह परछाई नही, एक विशालकाय चुड़ैल थी, जिसके चेहरे पर आंख नाक के जगह मांस से लोथड़े थे। यह देख सारे युवक युवतियां भाग खड़े हूए। वे सब दौड़ कर भागने लगे। पीछे से चुड़ैल भी उन्हें दौड़ा रही थी। जैसे ही सबने मंदिर पार किया, तो चुड़ैल वापिस बगीचे में चली गयी। तब जाकर उनकी जान में जान आई। आज तो मौत के मुह से ही निकल कर आरहे (Bhoot Ki Kahani) थे। आम के लालच ने सबको जोखिम में डाल दिया था।

नरभक्षी आत्मा ‘छोया’ पढ़ें।