चमगु और मिट्ठू की दोस्ती (Chamagu aur Mitthu ki Dosti)

विचित्र मित्रता बनी जंगल की आस (Chamagu aur Mitthu ki Dosti)

चमगु और मिट्ठू की दोस्ती (Chamagu aur Mitthu ki Dosti) आज के समय के लिए प्रासांगिक कहानी है। हर साल गर्मी बढ़ती जा रही थी। गर्मी के मौसम में घांस सुख जाते। जंगल से कोई नदी नही गुजरती थी। जिसके कारण जानवरों को पानी की दिक्कत हो जाती थी। इस साल भी जोरो की गर्मी पड़ रही थी। गर्मी के कारण भयंकर सूखा पड़ा था। हरी-भरी वनस्पतियाँ सूखने लगीं। जानवर भोजन एवं पानी के लिए भटकने लगे। उसी जंगल मे चमगु नाम का चमगादड़ और मिठ्ठू नाम की भैंस बिल्कुल अलग-अलग जीवन जीते थे। चमगु अपना दिन एक पेड़ पर उल्टा सोकर बिताता, जबकि मिठ्ठू हरे-भरे घांस की तलाश में घूमती रहती।

मिठ्ठू भोजन खोजने के लिए संघर्ष करते हुए, थकी हारी अपने मित्र चमगु के पेड़ से टकरा गई। चमगु ने मिठ्ठू की परेशानी को महसूस किया। इसका हल ढूंढने के लिए चमगु ने अपने प्रतिध्वनि स्थान निर्धारण क्षमता का प्रयोग किया। जंगल के पीछे पहाड़ी में झरने का पता लगाया।

चमगु (Chamagu aur Mitthu Ki Dosti) को मिला झरना

झरना का पता चलते ही चमगु ने मिट्ठू से कहा, “मुझे एक जल स्रोत का पता चला है। मैं तुम्हारी पीठ पर बैठ जाता हूं। मैं तुम्हे दिशा बताऊंगा, तुम वैसे-वैसे चलना।” चमगु के बताए रास्ते पर चलकर मिट्ठू झरने के पास पहुंच जाती है और भरपेट पानी पीकर अपनी प्यास बुझाती है। मिठ्ठू कहती है, “मुझे तो तुम मिल गए, परंतु जंगल के बाकी जानवरों का क्या? वो कैसे अपनी प्यास बुझाएंगे?”

चमगु (Chamagu aur Mitthu Ki Dosti) ने कहा, “ बात तो तुम उचित कह रही हो। एक काम करते हैं आज शाम को जंगल मे एक बैठक बुलाते हैं। हम लोग वहीं इस पर चर्चा करेंगे।” मिठ्ठू ने सहमति जताई। फिर चमगु को अपने पीठ पर बिठा कर उसके पेड़ के पास ले गई। चमगु ने अपने आसपास के बंदर, भालू, बगुला एवं गिलहरी साथियों को बैठक की बात बताई। सबसे जंगल के हर सदस्य को बैठक में बुलाने को कहा।

जंगल मे हुई बैठक

धीरे-धीरे बैठक की बात जंगल में आज की तरफ फैल गई। पानी की समस्या को सुलझाने के लिए हर कोई बैठक में आया। बैठक में मिठ्ठू भैंस ने सबको जंगल के पीछे वाली पहाड़ी पर झरने की बात बताई, जिससे जंगल के सभी जानवर ताली बजाने लगे। जंगल के सदस्यों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। फिर मिठ्ठू भैंस ने कहा, “परंतु यह समस्या इतनी आसान नहीं है। खाना पानी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए हमें जमीनी कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए चमगु चमगादड़ आपको विस्तार से बताएंगे की, हमे कैसे क्या करना चाहिए। जंगल के सभी सदस्य ध्यान पर ध्यान पूर्वक सुनने लगे।

चमगु ने दिया जंगलवासियों को दिशा निर्देश

चमगु ने कहा, “खाना पानी की समस्या समाप्त करने के लिए हमें बरसात आने से पहले बहुत सारे छोटे-छोटे तालाब बनाने होंगे। ताकि जब बरसात आए, तो पानी उसमें ठहर जाए और गर्मियों में हमें पानी की समस्या ना हो। उन तालाबों के रहने से पेड़ भी नहीं सूखेंगे और घास भी नहीं सुखेगी क्योंकि आसपास की जमीन नम रहेगी। इस पूरी गर्मी हमें मेहनत करना होगा और पानी पीने के लिए हमें जंगल के पीछे पहाड़ी पर जाना होगा। यदि हम बरसात से पहले तालाब बनाने में सफल हो पाते हैं, तभी हम आगे खाना पानी की समस्या को हल कर पाएंगे। चमगु चमगादड़ की बात से जंगल का हर सदस्य सहमत था और सब ने अपनी-अपनी की क्षमता के अनुसार काम ले लिया। अगले ही दिन से जंगल में छोटे-छोटे बहुत सारे तालाब बनाने का कार्य शुरू हो गया।

एकता और मित्रता की जीत (Chamagu aur Mitthu ki Dosti)

जब जानवर थकते तो पहाड़ी के पास जाकर जल पी आते। उधर सुखा न होने के कारण जानवरों की आबादी भी बहुत थी और हरियाली भी। इधर से थके हारे जानवर जब उधर जाते तो उन्हें खाना पानी दोनो मिल जाता। ऐसे ही करते-करते एक महीने के अंदर जानवरों ने छोटे-बड़े बहुत सारे तालाब बना लिए। जब बरसात आया तो यह सारे तालाब भर गए। जिससे उनकी पानी की समस्या भी समाप्त हो गई और जमीन भीगी रहने के कारण जंगल हरा भरा हो गया। चमगु और मिठ्ठू की विचित्र मित्रता ने जंगल के समस्याओं को हल किया। इस दोस्ती ने दिखाया कि हर किसी के पास पेश करने के लिए कुछ अनोखा है, और एक साथ मिलकर, हम असंभव को हल कर सकते हैं।

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