जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji)

लगन और मेहनत ही जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji)

सफल होने के लिए लगन और मेहनत ही जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji) है। अर्जुन एक बड़ा ही तेज बालक था। वह किसी भी कौशल को बड़ी आसानी से सीख लेता था। अभी वह नवीं कक्षा में पढ़ रहा था। परंतु, अपनी उम्र के हिसाब से बड़ा ही चंचल था। जो भी पढ़ता वह झट से समझ लेता। गणित हो या विज्ञान, उसे समझने में समय नहीं लगता। परंतु, वह अपनी पढ़ाई को समय ही नहीं देता था। थोड़ी देर पढ़ने बैठता, फिर तुरंत उसे कोई और चीज याद आ जाती। फिर वह पढ़ाई छोड़कर कभी टीवी देखने चले जाता तो कभी अपने पिता के फोन पर गेम खेलने लगता। कुछ नही तो कंप्यूटर पर गेम खेलने लगता।

उसकी माता उससे कहती, “बेटा खेलना ही है तो जाकर मैदान में कोई खेल खेलो। कम से कम तुम्हारा स्वास्थ्य तो अच्छा रहेगा। पढ़ते तो हो नही, कम से कम सेहत पर तो ध्यान दो।”

कम अंकों से पास हुआ अर्जुन 

जब भी उसके मातापिता उसे कुछ समझाने के लिए कहते तो वह चिढ़ जाता। उसके इस व्यवहार से उसके मातापिता बहुत दुखी रहने लगे। नवीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा हुई। अर्जुन को केवल 45% अंक प्राप्त हुए। पिता ने उसे समझने की कोशिश की ओर वह किसी को सुनने को तैयार नही था। उसे यही लगता कि यह सब मुझे गलत समझते है। वह अपनी गलतियों को देख नही पा रहा था और माता पिता और शिक्षकों को गलत समझने लगा। यह केवल अर्जुन की बात नही है। इस उम्र में कई बच्चों के साथ ऐसा होता है। परंतु, यह व्यवहार और सोच उन बच्चों के लिए हानिकारक है। कुछ दिन बाद, दुर्गा पूजा की छुट्टियां हुई। अर्जुन अपनी माता के साथ अपने नाना नानी के घर चला गया।

नानी घर मे अर्जुन

वहां जब अर्जुन के नाना ने अर्जुन की माता से पूछा, “अर्जुन की पढ़ाई कैसी चल रही है?” तब उसकी माता ने अफसोस जताते हुए कहा, “पिताजी! मैं तो इसके जीवन जीने के तरीके से ही परेशान हूं। ना पढ़ता हैऔर ना खेलकूद ही करता है। दिन भर केवल कंप्यूटर, फोन या टीवी पर लगा रहता है। अर्धवार्षिक परीक्षा में केवल 45% अंक आए हैं। अगले वर्ष दसवीं की परीक्षा है। जाने क्या करेगा?” अर्जुन यह सब बातें सुनकर, वहां से चला गया। अगले दिन जब अर्जुन सोकर उठता है, तब उसके नाना जी बगीचे में माली से बात कर रहे होते हैं। वे माली को बता रहे होते हैं की, किस पौधे को किधर लगाना है? क्या करना है? अर्जुन नाना जी सुंदर बंगवानी से बहुत प्रभावित था। वह अपने नाना जी के पास पहुंचता है और पूछता है, “नाना जी! आप क्या कर रहे हैं?”

क्या बागवानी आसान है?

नाना उसे बताते हैं कि, “बच्चे! नए फूलों के पौधे लगा रहा हूं।” अर्जुन कहता है, “खेती या फुलवारी की सबसे अच्छी बात यही है की, पौधा लगा दो। बीज लगा दो। फिर कुछ दिन के बाद फूलफल निकल आते हैं। नानाजी हंसते हुए अर्जुन से कहते हैं, “क्या तुम स्कूल में नाम लिखवा लेने से और किताबें खरीद लेने से परीक्षा में पास हो जाते हो? या परीक्षा में बैठ जाने भर से क्या तुम्हें अच्छे अंक मिल जाते हैं, नहीं ना?” अर्जुन विस्मय में आकर कहता है, “नहीं तो!” नाना जी हंसते हुए कहते हैं, “बेटा! बिल्कुल इसी तरीके से इतनी आसानी से फल फूल नहीं आते। जैसे तुम रोज पढ़ते हो। हर पाठ को पढ़कर उसे याद करते हो। उसके प्रश्न उत्तर लिखते हो। गणित के प्रश्नों को बारबार बनाते हो। तब जाकर परीक्षा में अच्छे अंक आते हैं।”

अच्छी बागवानी और अच्छे जीवन का रास्ता (शिक्षाप्रद कहानियां)

नाना जी आगे कहते हैं, “बिल्कुल उसी प्रकार बागवानी हो या खेती हो, इसमें भी केवल बीज या पौधे को लगा देने से फल फूल नहीं आते। प्रतिदिन पानी देना पड़ता है। धूप छांव से बचाना पड़ता है। खरपतवार घास इत्यादि उखाड़ने होते हैं। कीटों से इनकी रक्षा करनी होती है। बिल्कुल वैसे जैसे तुम्हारे माता पिता हर समस्या तुम्हारी रक्षा करते हैं। तुम्हे बीमार होने से बचाते हैं। गलत रास्ते पर चलने से रोकते है। पौधे जब पूर्ण रूप से विकसित हो जाते, तब सही समय पर फसल काटना होता है। फसल को सुरक्षित जगह पर रखना होता है। वरना, किसी भी क्षण ढिलाई करने से फसल बर्बाद हो सकती है। तुम 45% नंबर लाकर एक कक्षा से दूसरे कक्षा में जा सकते हो। परंतु, खेती या बागवानी में ऐसा नहीं है। यदि 45% मेहनत करोगे तो फल फूल नहीं आएंगे (Shikshaprad Kahaniyan)।

समझ गया अर्जुन (Jeet Ki Kunji)

यदि तुम भी अपने जीवन में 90% वाली मेहनत करोगे तो केवल पास नहीं होंगे। अपितु, जीवन फल सा मीठा और फूलों सा सुंदर हो जाएगा।” नाना जी की बात अर्जुन समझ चुका था। अपनी माता के पास जाकर अर्जुन ने कहा, “माता! मैंने अपना जो समय नष्ट किया है उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं। अब मैं आपकी बातों की अवहेलना नहीं करूंगा। मैं समय से प्रतिदिन पढ़ाई करूंगा एवं अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होऊंगा।” जब नौवीं कक्षा का परीक्षाफल आया तो अर्जुन 92% अंकों से उत्तीर्ण हुआ (Shikshaprad Kahaniyan)।

कहानी की सीख (Jeet Ki Kunji)

हमें अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिदिन मेहनत करनी चाहिए।

शांति या अशांति (Shanti Ya Ashanti) पढ़ें।