जीवन का उद्द्येश्य ( Jeevan ka uddeshya)

जीवन का मार्ग एवं उद्द्येश्य ( Jeevan ka uddeshya)

प्रकृति के हर बीज के जीवन का उद्देश्य (Jeevan ka uddeshya ) है। एक बीज था उसका नाम जीवन था। जीवन ने एक बार फूलों को देखा। फूलों की सुंदरता देखकर वह चकित रह गया। उसने सोचा, काश! मैं भी बड़ा होकर सुंदर सा फूल बन जाऊं। अब यह जैसे उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना बन गया था। परंतु, जीवन अभी बहुत ही छोटा सा नन्हा सा था। अभी उसकी अपनी कोई पहचान नही थी। उसने ठान लिया था कि मुझे अपने सपने को पूरा करना है चाहे कितनी भी अड़चनें आए। अपने आप को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए वह प्रतिदिन मेहनत करता प्रतिदिन पर्याप्त पानी पीता और धूप खाता।

जीवन का डर

कुछ दिनों के बाद कि बात है। बरसात का मौसम आया था। हवाएं तेज चल रही थीं। जीवन को बहुत डर लग रहा था। उसे लग रहा था कहीं मैं अपने पेड़ से अलग न होजाऊँ। परंतु, अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर एक को अपने सुविधा घेरे से बाहर निकलना ही पड़ता है। हवा बार बार जीवन से टकरा रही थी। जीवन ने हवाओं से कहा, “तुम इतनी कठोरता से क्यों टकरा रही हो?” हवा ने उत्तर दिया, “जीवन! अपने सपनो को पूरा करने के लिए या अपने कर्तव्य को पूर्ण करने के लिए कठोरता से टकराना ही पड़ता है। मेरा कर्तव्य है की मैं नए बीजों को अपने संग उड़ा कर उन्हें उगने के लिए नई जमीन दूँ।

तकलीफ से ऊपर हैं सपने और कर्तव्य (Jeevan ka uddeshya)

तुमसे तो केवल मैं कठोरता से टकरा रही हूं। तुम जरा सोचो! मैं तो न जाने कितने पेड़ों से, फूलों से, बीजों से, पत्थरों से टकराती रहती हूं। क्या मुझे तकलीफ नही होती होगी? होती है! परंतु, अपने कर्तव्य को अपने सपने को तकलीफों के आगे रखना चाहिए। यदि तुम भी पेड़ बनना चाहते हो तो समय की कठोरता से टकराना सीखो। खुद को संभालना सीखो। निरंतर मेहनत करना सीखो।” जीवन को हवा की बातें सुनकर हिम्मत मिली। वह अब अपने डर से आगे आकर, हवा के साथ अनजान जमीन तक उड़ने के लिए तैयार हो गया। जब हवा ने जीवन को उड़ाया तो जीवन डर से चिल्लाने लगा।

हवा की सीख

हवा ने उसे चारो ओर से घेर लिया और फिर से जीवन को समझाया। “जीवन! किसी भी प्रयोजन में सफल होने के लिए निरंतर मेहनत के साथ साथ अपने आप पर भरोसा होना जरूरी है। विषम परिस्थिति में घबराना नही चाहिए, धैर्य से डटे रहना चाहिए। तुम भी घबराओ मत। धैर्य से डटे रहो।” हवा की बातें सुन कर जीवन में मानो नई ऊर्जा का संचार हुआ हो। वह अपने डर को पीछे कर, धैर्य एवं स्वयं के भरोसे के साथ अपनी नई जमीन की तलाश में उड़ता जा रहा था। तभी हवा ने जीवन को बताया, वह सामने वाली जमीन पर तुम्हे स्थापित होना है। वहां तुम्हे उतारने के लिए मैं अपनी ऊर्जा कम कर रही हूं। हवा का वेग कम होते के साथ ही जीवन हवा से अलग हो जमीन पर गिर पड़ा।

अंधेरे में फसा जीवन

हवा के कारण मिट्टी भी उड़ रही थी और जीवन को ढक रही थी। कुछ समय के बाद, जीवन मिट्टी से पूरे तरीके से ढक गया। अब एक बार फिर उसे डर सताने लगा। परंतु, उसने हवा की बातों को याद कर धैर्य बनाये रखा। अंधकार से बिना डरे प्रकाश की प्रतीक्षा करने लगा। कुछ समय बाद बारिश हुई। जीवन को मिट्टी के अंदर अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था। परंतु, उसे एहसास हो रहा था कि उसके ऊपर पानी की बूंदें मिट्टी में रीस रीस कर पहुँच रही हैं। देखते ही देखते जीवन पूरा गीला हो गया। बरसात तो रुक गयी। परंतु, जीवन सूख नही पा रहा था। क्योंकि, उसके ऊपर भीगी मिट्टी की परत थी।

विषम परिस्थिति में धैर्य एवं निरंतर प्रयास

अब तक जीवन समझ चुका था कि, यदि मुझे फूल बनना है तो इस प्रक्रिया से तो गुजरना ही पड़ेगा। संयम के साथ जीवन अपने आप को बदलते देखने लगा। बारिश और मिट्टी ने मानो तकलीफ से ज्यादा जीवन को उगने में सहायता की हो। कुछ दिनों बाद, जीवन के शरीर से जड़ और धड़ उगने लगें जड़ जमीन से और अंदर की ओर जाने लगा। तो धड़ जमीन से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा। अंततः जीवन धरती के बाहर अपनी पहचान बनाने के रास्ते पर निकल आया था। बिल्कुल नन्हा सा था पहले दिन, मानो कोई छोटा सा कीट हो। हफ्ते – दस दिन में घांस जैसा हुआ। महीने दो महीने में छोटे पौधे का रूप धरा, तो साल भर में छोटे पेड़ का रूप ले लिया।

जीवन का सपना पूरा हुआ (Jeevan ka uddeshya)

जीवन दो साल तक बिना रुके प्रतिदिन अपने आप को योग्य बनाने में जुटा रहा। अब वह समय आ चुका था जब वह उसके ऊपर फूल आने वाले थे। जब मौसम आया जीवन फूलों से भर गया। उसमे सुगंध भी था, रंग भी था एवं नव जीवन की क्षमता भी थी। उसका सपना पूर्ण हो चुका था। जीवन के फूलों के भी जब बीज बने तो उसने सभी बीजों को शिक्षा दी कि अपने आप को योग्य बनाने के लिए, अपने कर्तव्य पूरे करने के लिए एवं अपने सपनो को पूर्ण करने के लिए कठिन मेहनत, निरंतर प्रयास के साथ साथ धैर्य एवं स्वयं पर विश्वास की आवश्यकता होती है। डर सताएगा ही परंतु उससे आगे बढ़ना ही पड़ेगा।

सीख (Shikshaprad Kahaniyan)

आज जीवन ने अपने सपने को पूरा कर लिया था। परंतु, साथ ही वो कई पशु, पक्षी एवं मानव के लिए छाया का कारण था। जीवन अपने पेड़ से हवाओं को शुद्ध करता और अपने सुंदर फूलों से लोगों को आनंद का एहसास करवाता। यही एक जीवन का मार्ग एवं उद्देश्य (Shikshaprad Kahaniyan) होना चाहिए।

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