अच्छे कर्मों का फल कब मिलेगा (Karm ka Fal Kab) ?
कर्म का फल कब (Karm ka Fal Kab) मिलता कोई नहीं जानता। एक बार की बात है। एक गांव में एक बालक रहता था। उस बालक का नाम उत्तम था। उत्तम के पिता अपाहिज थे। उसकी माता गांव के बच्चों की प्राथमिक शिक्षिका थीं। वे अपना घर भी संभालती एवं गांव के बच्चों को भी पढ़ाती। उत्तम अब बड़ा हो रहा था। वह इतना समझने लगा था कि घर का सारा बोझ उसकी माता पर ही है। वह अपनी माता के बोझ को बांटना चाहता था। वह अपनी माता के गृह कार्य मे उनकी मदद करता था। अब वह बड़ा हो चुका था इसलिए पास के गुरुकुल में पढ़ने जाया करता था। एक दिन उसकी कक्षा में उसके गुरु जी ने बच्चों को बताया कि, “अच्छे कर्मों का अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्मो का बुरा फल मिलता है”। उत्तम के दिमाग मे यह बात बैठ गई।
उत्तम ने पूछे माता से प्रश्न (Karm Ka Fal Kab)
उसने अपनी माता से पूछा, “माँ! क्या सच में अच्छे कर्मों का अच्छा फल और बुरे कर्मों का बुरा फल मिलता है?” माँ ने उत्तर देते हुए कहा, “हाँ बेटा!” फिर उत्तम ने पूछा, “माँ! तो हम लोग तो सदैव अच्छे कर्म करते हैं। हमें फल कब मिलेगा? कितना समय लगता है अच्छे कर्मों का फल मिलने में माँ?” माता अपने पुत्र के प्रश्नों को सुनकर हंसते हुए बोली, “बेटा! ये तो मुझे नही ज्ञात है। तुम्ही बताओ!” तो उलझे हुए उत्तम ने कहा, “मुझे भी नही पता माँ।” अपने बेटे के उलझन को देखते हुए माता बोली, यह सब छोड़। देख! आज खेत से मकई लाई हूँ। चल! तुझे पका कर खिलाती हूँ।” माता उत्तम का हाथ पकड़ कर उसे रसोई में ले गई। वहाँ मकई पकाने लगी। उत्तम भी वही बैठ गया। परंतु, उसके दिमाग मे वही प्रश्न घूम रहा था।
उत्तम ने की गुरु जी के प्रतीक्षा
अगले दिन उत्तम जल्दी गुरुकुल जाता है। वहां जाकर वह गुरुजी के आश्रम के बाहर उनकी प्रतीक्षा करता है। गुरुजी बाहर उत्तम को देखकर अपनी कुटिया से बाहर आते हैं। फिर वे उत्तम से पूछते हैं, “क्या बात है पुत्र? इतने सवेरे तुम यहां क्या कर रहे हो? अभी तो तुम्हारी कक्षा का समय नहीं हुआ!” इस पर उत्तम गुरुजी से कहता है, “गुरुजी! मेरे प्रश्न मुझे विचलित कर रहे हैं। प्रश्नों के समाधान के लिए मैं आपके पास आया हूं।” गुरु जी ने उत्तम से कहा, “पुत्र! अपने प्रश्न पूछो”। उत्तम ने पूछा, “गुरुजी! क्या यह बात सत्य है कि हमें अच्छे कर्मों का फल अच्छा मिलता है और बुरे कर्मों का फल बुरा मिलता है? गुरुजी ने सहमति जताते हुए “हां” कहा।
कर्म का फल कब (Karm ka Fal Kab)
“हाँ” सुनने के उपरान्त उत्तम ने दूसरा प्रश्न पूछा, “गुरुजी! अच्छे कर्मों का फल कितने दिन में मिलता है?” गुरु जी ने उत्तर दिया, “समय से पुत्र! जब उस कर्म के फल आने का समय होता है उस समय ही अच्छा या बुरा फल मिलता है।” आतुर उत्तम ने पूछा, “परंतु, गुरुजी! यदि मैं दुगने उत्साह से अच्छे कर्म करूं तो?” गुरुजी उत्तम की बात एवं मनोदशा को समझ चुके थे। उन्होंने उत्तर दिया, “तब बेटा दुगना समय लगेगा”। व्याकुल उत्तम ने फिर पूछा, “गुरुजी! यदि मैं और मेहनत से और ध्यानपूर्वक अच्छे कर्म करूं तो?” तब गुरु जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “तब तिगुना समय लगेगा पुत्र!” उत्तम परेशान हो उठा। उसने गुरुजी से कहा, “गुरु जी! मैं जितनी अधिक मेहनत कर रहा हूं, अच्छे फल पाने की। यह अच्छा फल उतना दूर क्यों चला जाता है?”
गुरुजी का पाठ
गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “पुत्र! क्योंकि तुम्हारा ध्यान फल पर है कर्म पर नहीं।” उत्तम कहता है, “मैं समझ नहीं पाया गुरुजी! गुरुजी ने कहा, “मेरी बात ध्यान से सुनो पुत्र! तुमने कितने भी अच्छे बीज बोए हों और तुमने कितनी भी अच्छी खेती की हो। जब फसल आने का समय होगा तभी पता चलेगा की फसल अच्छी आएगी या खराब। तुम कितना भी अच्छी खेती कर लो। समय से पहले फसल नहीं आती। तुम कितनी भी बुरी खेती कर लो समय से पहले बुरी फसल भी नहीं आती। वैसे ही पुत्र कर्म का फल तो तभी मिलता है जब वह कर्म के फलित होने का समय आता है। परंतु हां! यदि तुम केवल अच्छे फल की इच्छा से फल के ऊपर ध्यान केंद्रित करते हुए कर्म करोगे तो अच्छे फल मिलने की संभावना दूर होती जाएगी।”
ऐसा क्यों गुरु देव
उत्तम ने गुरुजी की बात सुन कर फिर पूछा, “परंतु, ऐसा क्यों गुरु देव?” गुरु जी ने उत्तम को समझाते हुए कहा, “पुत्र! क्योंकि तुम्हारा ध्यान अच्छे कर्म पर है ही नहीं। फिर तुम अच्छे कर्म अच्छे से कैसे करोगे? तुम्हारा ध्यान अच्छे फल पर है। इस कारण तुम अच्छे कर्म करने से चूक जाओगे। उदाहरण के लिए मैं तुम्हें बताता हूं।।यदि तुम यह सोचकर पढ़ाई करने बैठोगे कि मैं अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर आऊंगा और सदैव यही सोचते रहोगे। अपने फल के बारे में चिंतन करते रहोगे। तब कक्षा में प्रथम कैसे आना है? उस मार्ग से तुम्हारा ध्यान भटक जाएगा। तुम स्वप्न बुनने लगोगे और कर्म अधूरे रह जाएंगे। इस प्रकार अच्छा फल तुमसे दूर चला जाएगा। प्रायः लोगों के साथ यही होता है। वे अच्छे फल के लिए अच्छा कर्म करना चाहते हैं। परंतु, अच्छा कर्म अच्छे से नही करते।”
कैसे पाएं अच्छा फल?
गुरु जी आगे कहते हैं, “अच्छे फल के चिंतन से ज्यादा आवश्यक अच्छे कर्म का ज्ञान है। यदि अच्छे कर्म का ज्ञान होगा और अच्छे कर्म के पथ पर निरंतर चलोगे तो अच्छे फल अवश्य मिलेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं है। परंतु, यदि अच्छे फल के बारे में सोचते रहोगे तो अच्छा कर्म नहीं हो पाएगा। अच्छे फल पर ध्यान रखना भी ध्यान को भटका देता है। तुम्हारे कर्मों में त्रुटि रह जाएगी और अच्छा फल दूध चला जाएगा पुत्र!” उत्तम समझ चुका था कि, अब अपने अच्छे कर्मों के लिए अच्छे पथ का निर्धारण कर उस पर निरंतर चलना है। यही अच्छे फल का रास्ता है। अच्छे फल के बारे में सोचना मूर्खता है वह हमें हमारे पथ से भटका देती है।”
साधु के भेष में डकैत पढ़ें।