मेहनती रवि (Mehnati Ravi)

मेहनती रवि (Mehnati Ravi)

मेहनती रवि (Mehnati Ravi) एक साधारण परिवार में रहता था। उसके पिताजी किसान थे और माँ घर का काम करती थीं। रवि का एक छोटा भाई और एक बहन भी थी। रवि बचपन से ही मेहनती था। वह सुबह जल्दी उठकर काम में जुट जाता था। रवि का मानना था कि मेहनत से ही सफलता मिलती है। रवि अपने घरवालों को भी हमेशा समय से काम करने और मेहनत करने के लिए कहता था। लेकिन कोई उसकी बात नहीं मानता था।

उसके पिताजी काम पर देर से जाते थे और खेतों में ज्यादा मेहनत नहीं करते थे। उसकी माँ भी घर के कामों में लापरवाह रहती थीं। भाई-बहन भी पढ़ाई में ध्यान नहीं देते थे और दिन भर खेलते रहते थे। रवि को यह सब देखकर बहुत दुख होता था। वह चाहता था कि उसका परिवार भी उसी तरह मेहनत करे जैसे वह करता है। लेकिन कोई उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था।

रवि का फैसला

एक दिन रवि ने फैसला किया कि वह अब घर पर नहीं रहेगा। वह कहीं दूर जाकर अपनी किस्मत आजमाएगा। उसने अपने माता-पिता से आशीर्वाद लिया और शहर की ओर चल पड़ा। शहर में रवि को बहुत मुश्किलें आईं। उसे रहने के लिए जगह नहीं मिली और उसे भूखे-प्यासे रात बितानी पड़ी। लेकिन रवि ने हार नहीं मानी। वह रोज लोगों से मिलता और काम मांगता। एक दिन वह काम की तलाश में घूम रहा था तो देखा एक व्यक्ति पसीने से लथपथ काफी परेशान है। रवि उसके पास गया और पूछा आप काफी परेशान हैं, क्या बात है ? वो कुछ बोल नहीं पा रहे थे। रवि ने बगल के प्याऊ से एक लोटा पानी लाकर सज्जन को पिलाया। पानी पीने के बाद उन्हें थोड़ा अच्छा लगा।

सेवा का फल (Mehnati Ravi)

उन्होंने मुँह पोछ्ते हुए कहा मुझे कुछ बीमारियां हैं इसलिए मैं ज्यादा शारीरिक काम नहीं कर पाता। इस शहर की एक प्रसिद्ध ड्राई फ्रूट की दूकान मेरी है। दूकान में काम करने वाले लड़के ज्यादा लालची हो गए थे। वो ड्राई फ्रूट भी खूब खाते और और चोरी भी कर लेते इसलिए मैंने उनको निकाल दिया। अब सामान लाना और बेचना मैं ही करता हूँ। मेरा बेटा अभी 12 साल का है उसे दुकान पर बैठा कर आया हूँ। फिर सेठ ने रवि से पूछा तुम क्या करते हो ? रवि ने कहा काम की तलाश कर रहा हूँ। सेठ ने कहा चलो मेरे दूकान पर काम करो। सेठ रवि से प्रभावित हो चुके थे। रवि ने ड्राई फ्रूट की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। रवि दिन-रात मेहनत करता था। अब वही दूकान खोलता और और देर रात तक बंद करता।

मेहनती रवि की नौकरी (Shikshaprad Kahaniyan)

धीरे-धीरे रवि की मेहनत रंग लाने लगी। दुकान की बिक्री बढ़ने लगी। रवि का मालिक बहुत प्रसन्न रहने लगा अब उसने रवि की सैलरी बढ़ा दी। साथ ही साथ रवि को बिक्री पर कमीशन भी देने लगा। रवि ने अपनी बचत से एक नया घर खरीदा और अपने परिवार को शहर में बुला लिया। रवि के परिवार को रवि की सफलता देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। उन्हें अब समझ आ गया था कि रवि की बातें कितनी सच्ची थीं। उन्होंने रवि से माफी मांगी और उससे कहा कि अब वे भी उसी तरह मेहनत करेंगे जैसे वह करता है।रवि बहुत खुश हुआ। उसने अपने परिवार को समझाया कि सफलता के लिए केवल मेहनत ही काफी नहीं होती, बल्कि समय का सदुपयोग करना भी बहुत जरूरी होता है। रवि के परिवार ने रवि की बात मान ली और अब वे सब मिलकर खुशी-खुशी जीवन जीने लगे।

कहानी की सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत से ही सफलता मिलती है। हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए और अपने कामों को समय से पूरा करना चाहिए।

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