परोपकारी भालू (Paropkari Bhalu)
परोपकारी भालू (Paropkari Bhalu) बच्चों की कहानियां (Bachchon ki Kahaniyan) श्रृंखला की एक बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी (Shikshaprad Kahnai) है। एक घने जंगल में, भूरा नाम का एक बड़ा, रोएँदार भालू विनम्र जीवन व्यतीत करता था। अपने साथी भालुओं के विपरीत, भूरा अपनी मजबूत कार्य नीति के लिए जाना जाता था। हर सुबह, वह सूर्योदय से पहले उठकर अपने बगीचे में जाता था। जहाँ से वह रसदार जामुन और मीठा शहद इकट्ठा कर लाता था।
इसके बाद वह पास की नदी में मछली पकड़ने, जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने और यहां तक कि अपने साथी वन प्राणियों को उनके कार्यों में मदद करने में दिन बिताया करता था। उसके पड़ोसियों में मिनी खरगोश और गिल्लू गिलहरी थे। भूरा सदैव उनकी भी सहायता करता था। दिन भर मेहनत एवं सहायता करते रहने के बाद भी भूरा ने कभी शिकायत नहीं की। उसे निरंतर मेहनत करना पसंद था। अपने दोस्तों को फलते-फूलते देखकर उसे खुशी मिलती थी।
तूफान की मार
जैसे-जैसे बरसात का मौसम नजदीक आया, भूरे की मेहनत रंग लाई। उसकी गुफा में प्रचुर मात्रा में सूखे फल, कंद मूल, शहद उपलब्ध थे। वह बरसात के मौसम के लिए तैयार था। गुफा के सामने उसने मिट्टी और पत्थरों से मेढ़ बना दी थी जिससे कि बरसात का पानी गुफा के अंदर न भरे। परंतु, इस बार बरसात बहुत अलग थी। पहले के समान अधिक वर्षा तो हो ही रही थी। एक दिन भयंकर तूफान आ गया। बहुत से पेड़ गिर गए। कितने ही पशु पक्षियों के घर तबाह हो गए। कई जानवरों को भोजन और आश्रय खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, भूरा को अपनी मेहनत के कारण संघर्ष नही करना पड़ा। जब कि, इसी अधिक वर्षा और तूफान में, मिन्नी खरगोश और गिल्लू गिलहरी के घर भी तबाह हो गए।
परोपकार सबसे बड़ा नैतिक मूल्य (Paropkari Bhalu)
जंगल के इस कठिन समय मे भूरे ने अपने पड़ोसी मिन्नी खरगोश एवं गिल्लू गिलहरी के साथ साथ बहुत सारे जानवरों की मदद की। उसने अपने साथी जंगलवासियों को अपनी गुफा में आश्रय दिया। उन्हें अपने जमा किये हुए भोजन में से खाना दिया। चारा खाने वाले जानवरों के बच्चों के लिए बाहर जाकर चारा लाने में भी संकोच नही किया। लगभग एक सप्ताह में तूफान और अधिक वर्षा का प्रकोप कम होगया। जंगल मे जीवन सामान्य होने लगा। धीरे धीरे जंगल के राजा शेर सिंह को भूरे भालू के परोपकार के बारे में पता चला। वनराज शेर सिंह ने अपने दरबार मे दावत रखी। उसमे जंगल के सभी जानवरों को निमंत्रण भिजवाया। लगभग सभी जानवर आए।
शेर सिंह की दावत
राजा शेर सिंह जैसे ही मंच पर पहुंचे, सारे जानवर अपने राजा के सम्मान में खड़े होगए। शेर सिंह ने मंच पर से सभी को तूफान का डट कर सामना करने की बधाई देते हुए कहा, मुझे अपने जंगलवासियों पर गर्व है जिन्होंने इतनी विषम परिस्थिति में भी हार नही मानी। सब ने एक दूसरे के जीवन एवं परिवार की रक्षा की है। एकता में बल है। परंतु, यह आयोजन मैंने इस जंगल के सबसे होनहार निवासी भूरा भालू के सम्मान में रखी है। सबको इनसे सीख लेनी चाहिए। भूरा भालू समयबद्ध तरीके से काम करते हैं। अपने साथ साथ दूसरों की मदद करते हैं। साथ ही भविष्य की भी योजना पक्की बनाते हैं।”