कर्मों का फल कब मिलेगा (Karm ka Fal Kab) ?

कर्म का फल कब

अच्छे कर्मों का फल कब मिलेगा (Karm ka Fal Kab) ? कर्म का फल कब (Karm ka Fal Kab) मिलता कोई नहीं जानता। एक बार की बात है। एक गांव में एक बालक रहता था। उस बालक का नाम उत्तम था। उत्तम के पिता अपाहिज थे। उसकी माता गांव के बच्चों की प्राथमिक शिक्षिका थीं। … Read more

जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji)

जीत की कुंजी

लगन और मेहनत ही जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji) सफल होने के लिए लगन और मेहनत ही जीत की कुंजी (Jeet Ki Kunji) है। अर्जुन एक बड़ा ही तेज बालक था। वह किसी भी कौशल को बड़ी आसानी से सीख लेता था। अभी वह नवीं कक्षा में पढ़ रहा था। परंतु, अपनी उम्र के … Read more

जीवन का उद्द्येश्य ( Jeevan ka uddeshya)

जीवन का उद्देश्य

जीवन का मार्ग एवं उद्द्येश्य ( Jeevan ka uddeshya) प्रकृति के हर बीज के जीवन का उद्देश्य (Jeevan ka uddeshya ) है। एक बीज था उसका नाम जीवन था। जीवन ने एक बार फूलों को देखा। फूलों की सुंदरता देखकर वह चकित रह गया। उसने सोचा, काश! मैं भी बड़ा होकर सुंदर सा फूल बन … Read more

मेहनती रवि (Mehnati Ravi)

मेहनती रवि

मेहनती रवि (Mehnati Ravi) मेहनती रवि (Mehnati Ravi) एक साधारण परिवार में रहता था। उसके पिताजी किसान थे और माँ घर का काम करती थीं। रवि का एक छोटा भाई और एक बहन भी थी। रवि बचपन से ही मेहनती था। वह सुबह जल्दी उठकर काम में जुट जाता था। रवि का मानना था कि … Read more

क्रोध गलत रास्ते का साथी (Shikshaprad Kahaniyan – Krodh Galat Raste Ka Sathi)

क्रोध गलत रास्ते का साथी (Shikshaprad Kahaniyan – Krodh Galat Raste Ka Sathi) हमेशा क्रोध गलत रास्ते का साथी (Shikshaprad Kahaniyan – Krodh Galat Raste Ka Sathi) होता है। एक गांव में जमींदार हृदय सिंह रहते थे। हृदय सिंह के पाँच पुत्र थे। अभी पांचो स्कूल में पढ़ते थे। सबसे बड़ा पुत्र विराट दसवीं कक्षा … Read more

भविष्य की योजना (Bhavishya ki Yojana)

भविष्य की योजना (Bhavishya ki Yojana) का महत्व कहानी भविष्य की योजना (Bhavishya ki Yojana)आज के लिए बहुत प्रासंगिक है। एक बार की बात है, एक टिड्डा बड़े सुंदर खेत में रहता था। वह अपने दिन खेलते और गाते बिताता था। कभी भी किसी चीज की चिंता नहीं करता था। वह हमेशा खेलता-कूदता खुश रहता … Read more

साधु के भेष में डकैत

एक बार की बात है, एक गांव के पास जंगल के तरफ डाकुओं का एक झुण्ड रहता था। उन डाकुओं का सरदार साधू के भेष में रहता था। वो लोग व्यापारियों, अमीरों और राहगीरों को लूटा करते थे और उनसे लुटा हुआ धन गरीबों में बाँटते थे। अपने आस पास के गरीबों का ध्यान रखते … Read more