कौन है पिस्टल क़्वीन “मनु भाकर ” ? (Who is Manu Bhaker ? )
क्या आप सचमुच नहीं जानते की कौन है मनु भाकर (Who is Manu Bhaker)? भारतीय स्टार शूटर मनु भाकर ने ओलिंपिक के इतिहास में शूटिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनकर इतिहास रच दिया है। मनु भाकर ने रविवार (28 जुलाई) को महिला 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य पदक के साथ निशानेबाजी में ओलिंपिक पदक के भारत के 12 साल के इंतजार को खत्म किया। इसके ही वह भारतीय ओलिंपिक मेडल विजेताओं के एक खास क्लब में शामिल हो गईं, जिसमें पहले सिर्फ चार पुरुष निशानेबाज थे। पेरिस ओलिंपिक में भारत के लिए पदक का खाता मनु भाकर ने खोला।
मंगलवार (30 जुलाई) को 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट में अपने पार्टनर सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। मनु भाकर किसी एक ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं।
इससे पहले सुशील कुमार और पीवी सिंधु ने अलग अलग ओलिंपिक में दो – दो मेडल जीते पर कोई भी भारतीय खिलाड़ी एक ओलंपिक में दो मेडल नहीं जीत सका है।
मनु भाकर कहां की रहने वाली हैं ?
निशानेबाज मनु भाकर ने पिस्टल शूटिंग में अपने असाधारण कौशल से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपना नाम बनाया है। 18 फरवरी, 2002 को हरियाणा के झज्जर में जन्मी मनु निशानेबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली होनहार युवा एथलीटों में से एक हैं।
शूटिंग से मनु भाकर का शुरुआती रिश्ता
22 वर्षीय मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में हाथ आजमाया। राष्ट्रीय स्तर पर मनु ने ‘थांग ता’ नामक मार्शल आर्ट में भी भाग लिया और पदक जीते। रियो ओलिंपिक ख़त्म होने के बाद 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया।
मनु भाकर कैसे बनी पिस्टल क़्वीन ?
2018 मनु भाकर के लिए एक शूटर के रूप में सफल साल था। उन्होंने एक साल पहले ही अपनी क्षमता की झलक दे दी थी। 2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु भाकर ने ओलिंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 हीना सिद्धू को चौंका दिया। मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में सिद्धू के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 242.3 का रिकॉर्ड स्कोर बनाया। एक साल बाद मनु भाकर महज 16 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल पदक जीतकर सोशल मीडिया सनसनी बन गईं।
2018 में मैक्सिको के ग्वाडलजारा में आयोजित इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन वर्ल्ड कप में मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीता। इस खेल में उन्होंने दो बार की चैंपियन मैक्सिको की एलेजांद्रा जवाला को हराया। मनु भाकर ने 2019 म्यूनिख ISSF वर्ल्ड कप में चौथे स्थान पर रहकर ओलिंपिक कोटा भी हासिल किया।
कैसे टोक्यो मनु भाकर का ओलिंपिक में टूटा दिल ?
टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर से बहुत उम्मीदें थीं, भले ही यह उनका पहला ओलिंपिक था। इवेंट के दौरान उनकी बंदूक में खराबी आ गई, जिससे चलते उस इवेंट में वो आगे के लिए क्वालीफाई नहीं कर पायी। इसका नतीजा ये निकला की आगे के अलग अलग इवेंट में भी वो मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पायी। कई इवेंट में पसंदीदा में से एक होने के बावजूद उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक को बिना मेडल के समाप्त किया। मनु भाकर (Heart Broken Manu Bhaker ) टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतने में नाकाम रहने के बाद निशानेबाजी रेंज से रोते हुए बाहर निकलीं थीं।
ओलम्पिक में पदक (Who is Manu Bhaker)
मनु भाकर (Manu Bhaker ) एक ऐसी भारतीय महिला निशानेबाज हैं जिन्हे दूसरे स्थान पर रहना पसंद ही नहीं है, तीसरे स्थान की तो बात ही छोड़ दीजिए। लेकिन उन्होंने कहा कि रविवार का दिन अपवाद था, क्योंकि पेरिस में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर वह टोक्यो ओलिंपिक में अपनी निराशा को पीछे छोड़कर राहत महसूस कर रही हैं। आत्मविश्वास से भरी भाकर ने मेडल जीतने के बाद कहा, “टोक्यो के बाद मैं बहुत निराश थी। मुझे इससे उबरने में बहुत समय लगा।”
उन्होंने कहा, “बहुत खुश हूं कि मैं कांस्य पदक जीत सकी और हो सकता है कि अगली बार इसका रंग बेहतर हो।” इस पदक से पेरिस ओलिंपिक में भारत का खाता खुल गया और साथ ही निशानेबाजी में 12 साल का इंतजार खत्म हुआ।
गीता के श्लोकों का प्रभाव (Manu Bhaker)
मनु भाकर के माता-पिता रामकिशन और सुमेधा (Manu Bhaker Parents) ने उनके कठिन समय के दौरान उनके साथ गीता के श्लोकों का पाठ किया। मनु की मां अक्सर उन्हें गीता के श्लोक सुनाती हैं। खुद मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतने के बाद कहा, “मैंने भगवत गीता काफी पढ़ी है और वही करने की कोशिश की जो मुझे करना चाहिए था। बाकी सब भगवान पर छोड़ दिया था। हम भाग्य से नहीं लड़ सकते। आप परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते।”
टोक्यो ओलिंपिक के बाद मनु भाकर खेल छोड़ना चाहती थीं
टोक्यो ओलिंपिक में ख़राब प्रदर्शन के बाद मनु भाकर का दिल टूट गया था। उन्होंने लगभग 25 दिनों तक अपनी पिस्तौल की ओर देखा तक नहीं था। लेकिन जब मनु भाकर टोक्यो ओलिंपिक के सदमे से उबरने के लिए केरल के चेराई में एक बीच साइड रिसॉर्ट में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रही थीं, तो उन्हें शूटिंग के प्रति अपने प्यार का एहसास हुआ।
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