कौन हैं शेख हसीना (Who is Sheikh Hasina) ?

कौन हैं शेख हसीना (Who is Sheikh Hasina) ?

आज हर कोई पूछ रहा कौन हैं शेख हसीना (Who is Sheikh Hasina) ? अचानक मीडिया की सुर्ख़ियों में हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं शेख हसीना। 5 अगस्त 2024 तक वो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं।

शेख हसीना का जन्म 28 सिंतबर 1947 को पूर्वी पाकिस्तान के तुंगपाड़ा में हुआ था। वे एक बंगाली मुसलमान शेख परिवार से आती हैं। उनके माता पिता दोनो इराकी अरब वंश से आते हैं। शेख हसीना का परिवार बगदाद के शेख अब्दुल अवल दरविश के वंशज हैं। उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान, बँग्लादेशी राजनेता एवं बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति थे।

1954 में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान जब पूर्वी पाकिस्तान की सरकार में मंत्री बने, तब वे ढाका के सेगुंबग़ीचा से मिंटो रोड़ 3 आए। किंतु, 4-5 साल बाद जब उनका अपना घर बना, तब वे सब धनमौंडी में रहने चले गए।

पिता के साथ ज्यादा समय नही गुजरा ( is Sheikh Hasina daughter of Mujibur Rahman?)

Sheikh Hasina

शेख हसीना का पालन पोषण उनकी माता एवं दादी ने किया था। वे और उनके भाई बहन, पिता के साथ बहुत कम समय बिता पाए। उनके पिता ज्यादातर राजनीति में ही रहते थे। अपने कई साक्षात्कारों में शेख हसीना ने यह खुलासा किया है कि, जब वे बड़ी हो रही थीं, तब उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) राजनीतिक कैदी थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि, “1954 में जब वे केवल सात साल की थीं, तब उनके पिता को कैद कर लिया गया था। उनकी माता ने उनके भाई बहनों को समझाया और पाला। वे अपने पिता से मिलने कारागार में जाया करते थे।” उनका बचपन आम बच्चों के जीवन की तरह, पिता के छांव में नहीं बीता।

पढ़ाई के दिनों हुई राजनीति की शुरुआत

Sheikh Hasina

शेख हसीना ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने जन्मस्थान टूंगीपाड़ा में प्राप्त की। फिर जब उनका परिवार ढाका आ गया, तब उन्होंने आगे की शिक्षा कन्या विद्यालय से ली। ईडन कॉलेज में जब उन्होंने स्नातक में नामांकन लिया, उन्हीं दिनों से ही वे राजनीति से जुड़ चुकीं थीं। ईडन कॉलेज में वे विद्यार्थी संघ यानी स्टूडेंट यूनियन की वाईस प्रेसिडेंट चुनी गईं थी। आगे चल कर उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से बंगाली साहित्य में स्नातक किया। उनके पति, वाजेद मियां एक परमाणु वैज्ञानिक यानी नियूक्लियर साइंटिस्ट थे।

तख्तापलट में खोया पूरा परिवार

sheikh father killed

 

15 अगस्त 1975 को जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ। तब शेख हसीना, अपने पति वाजेद मियां, बच्चों एवं अपनी बहन शेख रेहाना के साथ यूरोप गई हुई थी। तख्तापलट के दौरान, जब उनके परिवार पर हमला हुआ तब उस हमले में उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गयी। उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान भी इस हमले में मारे गए। शेख हसीना के परिवार में केवल वही सदस्य जीवित बचे जो यूरोप गए थे। यानी, शेख हसीना उनके पति, बच्चे एवं उनकी बहन शेख रेहाना। तख्ता पलट के समय उन्होंने पश्चिमी जर्मनी में बांग्लादेशी राजदूतावास में शरण लिया। फिर, जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राजनीतिक शरण देने का प्रस्ताव रखा तब उन्होंने अपने पारिवारिक सदस्यों समेत भारत में रहना स्वीकार किया। वे लगभग 6 साल तक भारत में रही।

बांग्लादेशी राजनीति में उभरती शेख हसीना

1981 में, भारत में रहते हुए शेख हसीना अवामी लीग की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गई। अवामी लीग बांग्लादेश की दो सबसे पुरानी राजनीतिक दलों में से एक है। आने वाले दशक में शेख हसीना कई बार कैद हुई, कई बार चुनाव लड़ी। उनकी अगवाई में अवामी लीग मजबूत होती गई। 1986-87 में वे बांग्लादेशी संसद में विपक्षी दल की नेता (Who is Sheikh Hasina ?) रहीं। हालांकि तब अवामी लीग के पास इतनी सीट नहीं थी कि वह अपने दम पर विपक्षी दल बन सके। शेख हसीना 8 दलों को मिलाकर, विपक्षी दल की नेता बनी थी। जब 1991 का चुनाव हुआ, तब उनकी पार्टी अवामी लीग सबसे बड़ी विपक्षी दल बनकर उभरी। 1991 से 1996 तक शेख हसीना बांग्लादेश में विपक्षी दल की नेता रही।

बतौर प्रधानमंत्री पहला कार्यकाल

1996 में शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गई। 1996 से 2001 के बीच अपने कार्यकाल में शेख हसीना ने बांग्लादेश के हित में बड़े-बड़े फैसले लिए। जैसे, भारत के साथ गंगा नदी के पानी पर संधि, दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल, नई उद्योग नीति, इत्यादि। बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए भी शेख हसीना की सरकार ने कई पहल लिए। अपने परिवार एवं बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति के हत्यारों को सजा दिलवाने हेतु शेख हसीना सरकार ने क्षतिपूर्ति अधिनियम वापस लिया। इस अधिनियम से शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारों को सजा से सुरक्षा मिल रही थी। 2001 में उन्हें बहुमत नहीं मिली और वह सरकार नहीं बना सकी। हालांकि 2008 तक वे विपक्षी दल की नेता बनी रही।

जानलेवा हमला, फिर गिरफ्तारी!

इसी बीच 2004 में, अवामी लीग की सभा पर ढाका में ग्रेनेड से हमला किया गया। जिसमें 24 पार्टी कार्यकर्ता मारे गए। कहा जाता है की, ‘ये हमला शेख हसीना को मारने के लिए किया गया था’। 2006 में शेख हसीना एवं अवामी लीग ने लोगी बोईठा आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन देश से राजनीतिक एवं सामाजिक अशांति बढ़ने लगी। मार्च 2007 में, शेख हसीना अपने बेटा-बेटी से मिलने अमेरिका गयीं और उसके बाद वहां से इंग्लैंड। तब अप्रैल 2007 में सैन्य समर्थित कार्यवाहक सरकार द्वारा हसीना पर भ्रष्टाचार एवं जबरन वसूली का आरोप लगाया गया। फिर, उन्हें देश में वापस आने से रोक दिया गया। उन्होंने इस रोक के खिलाफ अपना पक्ष रखा। हालांकि, 16 जुलाई 2007 को जब वे बांग्लादेश वापस आई, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

शेख हसीना का द्वितीय कार्यकाल

2008 में दिसंबर में आम चुनाव हुए। जिसमें अवामी लीग अपने गठबंधन के साथ 2008 का आम चुनाव दो तिहाई बहुमत से जीत गई। गठबंधन को 299 में से 230 सीटें आई। इस तरह से शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के रूप में दूसरी पारी की शुरुआत की। वे लगातार 4 बार प्रधानमंत्री बनी। 16 वर्षों के पश्चात, 5 अगस्त 2024 को इस पारी का अंत हुआ। शेख हसीना ने बांग्लादेश को एक सशक्त राष्ट्र बनाने का प्रयास किया। परंतु, एक समय के बाद जनता अपने लंबे समय से बने हुए सरकार को नकार देती है। जनता शेख हसीना सरकार से संतुष्ट नहीं थी। दिसंबर 2022 में बांग्लादेश में सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन होने शुरू हो गए। विरोध बढ़ते बढ़ते बहुत कड़वा रूप ले चुका था बांग्लादेश की जनता असहयोग आंदोलन पर उतर गई।

शेख हसीना का राजनीतिक अंत! (Why Sheikh Hasina left Bangladesh?)

विद्रोह को देखते हुए, 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना ने अपना त्यागपत्र बांग्लादेश के राष्ट्रपति को समर्पित कर दिया। अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, वे बांग्लादेश से भारत चली गई। शेख हसीना का जीवन काफी अशांतियों और तकलीफों से घिर रहा। बचपन में पिता को कारागार में देखा। बड़े होने पर अपने पूरे परिवार की हत्या देखी। राजनीतिक कार्यकाल में उन पर 19 बार जानलेवा हमले हुए। 2004 के ग्रेनेड हमले के कारण उन्हें बहरेपन से जूझना पड़ा। राजनीतिक तौर पर उनके फैसले सही या गलत हो सकते हैं परंतु मानवीय चश्मा से देखा जाए तो उनके जीवन में भावनात्मक रूप से कठिनाईयो की भरमार रही। इतना सफल राजनीतिक कार्यकाल के बाद भी उन्हें इस प्रकार अपना देश छोड़कर भागना पड़ा। उनके बेटे ने कहा है कि, ‘अब शेख हसीना राजनीति में नहीं आएंगी’। देखते हैं आगे क्या होता है!

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