कल्पनाथ राय ने जवाहरलाल नेहरू को काला झंडा क्यों दिखाया था (Why did Kalpanath Rai show black flag to Nehru)?
बात है 1962 की, उस समय कांग्रेस के कद्दावर नेता कल्पनाथ राय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्र हुआ करते थे। यूनिवर्सिटी में काफी अनियमितता थी। कल्पनाथ राय उसके विरोधी थे। तब वे छात्र नेता के रूप में उभर रहे थे। उन्ही दिनों प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को गोरखपुर में जनसभा संबोधित करनी थी। परंतु, गोरखपुर में कोई बड़ा खाली मैदान ऐसा नहीं था जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हो। तब गोरखपुर में जनसभा संबोधित करने के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय का मैदान चुना गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जनसभा को संबोधित कर सके, इसके लिए पंत भवन के पास एक चबूतरे का निर्माण भी कराया गया था।
जब प्रधानमंत्री नेहरू पहुंचे गोरखपुर
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू गोरखपुर आए। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के परिसर में जनसभा संबोधित कर रहे थे। उसी समय छात्र नेता कल्पनाथ राय ने उन्हें काला झंडा दिखाया और इस पर बड़ा हंगामा हो गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू थोड़े असहज हो गए, परंतु फिर उन्होने संयम बांध लिया। इसी बीच काला झंडा दिखाने के उपरांत पंत भवन के छत पर पुलिस कर्मियों ने कल्पनाथ राय को पीटना शुरू कर दिया। इन्हीं सबके बीच पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हस्तक्षेप कर कल्पनाथ राय को बचाया। प्रधानमंत्री की बात कौन टाल सकता था?
आखिर क्यों दिखाया काला झंडा (Why did Kalpanath Rai show black flag to Nehru) ?
प्रधानमंत्री ने काला झंडा दिखाने का कारण जानना चाहा। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने छात्र नेता कल्पनाथ राय को अपने पास बुलाया और विरोध का कारण पूछा। इसी के साथ अपनी बात रखने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने छात्र नेता कल्पनाथ राय को माइक भी दे दी। तब कल्पनाथ राय ने प्रधानमंत्री नेहरू के सामने अपना पक्ष रखा। छात्र नेता कल्पनाथ राय सामाजिक एवं शैक्षणिक प्रगति से असंतुष्ट थे।
कल्पनाथ राय से प्रभावित हुए नेहरू
उनके ओजस्वी भाषण को अंग्रेजी भाषा में सुनकर प्रधानमंत्री नेहरू काफी प्रभावित हुए। प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने छात्र नेता की मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी दिया। प्रधानमंत्री नेहरू छात्र नेता कल्पनाथ राय से इस कदर प्रभावित हुए की कुछ समय बाद कल्पनाथ राय कांग्रेस से जुड़ गए। आगे चल कर कल्पना नाथ राय कांग्रेस के बड़े कद्दावर नेता हुए। वे तीन बार राज्यसभा सांसद एवं चार बार लोकसभा सांसद रहे।
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