पंचतंत्र- मूर्ख बगुला और नेवला

जंगल के एक बड़े वट-वृक्ष की खोल में बहुत से बगुले रहते थे । उसी वृक्ष की जड़ में एक साँप भी रहता था । वह बगलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था । एक बगुला साँप द्वारा बार-बार बच्चों के खाये जाने पर बहुत दुःखी और विरक्त सा होकर नदी के किनारे आ … Read more

पंचतंत्र – मित्रद्रोह का फल

दो मित्र धर्मबुद्धि और पापबुद्धि हिम्मत नगर में रहते थे। एक बार पापबुद्धि के मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं मित्र धर्मबुद्धि के साथ दूसरे देश जाकर धनोपार्जन कर्रूँ। बाद में किसी न किसी युक्ति से उसका सारा धन ठग-हड़प कर सुख-चैन से पूरी जिंदगी जीऊँगा। इसी नियति से पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि … Read more

पंचतंत्र – चिड़िया और बन्दर

एक जंगल में एक पेड़ पर गौरैया का घोंसला था। एक दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ठंड से कांपते हुए तीन चार बंदरो ने उसी पेड़ के नीचे आश्रय लिया। एक बंदर बोला “कहीं से आग तापने को मिले तो ठंड दूर हो सकती हैं।” दूसरे बंदर ने सुझाया “देखो, यहां कितनी सूखी … Read more

पंचतंत्र -हाथी और गौरैया

किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खाने के इन्तेजाम के लिए बाहर गया हुआ था।तभी … Read more

पंचतंत्र – टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान

समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा । टिटहरे का अभिमान टिटिहरे ने कहा – “यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर ।” टिटिहरी – “समुद्र में जब ज्वार … Read more